दिल्ली जीतने के बाद बीजेपी का उत्साह चरम पर विपक्ष की राजनीति का नया दौर शुरू
प्रखर डेस्क। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी करते हुए 70 में से 48 सीटों पर जीत हासिल की है। इस जीत के साथ ही बीजेपी का आत्मविश्वास चरम पर पहुंच गया है, विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं और आम आदमी पार्टी (आप) का भविष्य चर्चा का विषय बन गया है। आप के नेता अरविंद केजरीवाल ने चुनाव परिणाम स्वीकार करते हुए बीजेपी को बधाई दी और उम्मीद जताई कि नई सरकार जनता की अपेक्षाओं को पूरा करेगी। केजरीवाल और उनके प्रमुख सहयोगी मनीष सिसोदिया दोनों ही अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी इस चुनाव में एक भी सीट जीतने में असफल रही, और उसके 70 में से 67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। यह लगातार तीसरी बार है जब कांग्रेस दिल्ली विधानसभा में खाता खोलने में नाकाम रही है। चुनाव में हार के बावजूद, ‘आप’ का पूरी तरह से समाप्त होना अभी निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। पार्टी अभी भी पंजाब में सत्ता में है और दिल्ली में एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने का संकल्प ले रही है। हालांकि, इस हार से पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह आत्ममंथन की आवश्यकता होगी, और भविष्य में पार्टी की रणनीति और नेतृत्व पर सवाल उठ सकते हैं। अब सवाल यह है कि जिस तरह से अरविंद केजरीवाल खुद को सबसे बड़े मोदी विरोधी के रूप में स्थापित करने में जुटे हुए थे उस विश्वास को बड़ा धक्का लगा है। विपक्ष अब एक बार फिर किसी ऐसे चमत्कारिक नेतृत्व की तलाश में जुट गया है जो मोदी के तिलिस्म को तोड़ पाए। दिल्ली में बीजेपी की जीत को राष्ट्रीय राजनीति में उसकी बढ़ती पकड़ के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि, यह कहना कि बीजेपी की लहर पूरे देश में फिर से चल रही है, अभी पूर्वानुमान होगा। विभिन्न राज्यों में राजनीतिक परिस्थितियां अलग-अलग हैं, और आगामी चुनावों में ही स्पष्ट होगा कि बीजेपी की लोकप्रियता राष्ट्रीय स्तर पर कैसी है। दिल्ली जीतने के लिए बीजेपी ने प्रधानमंत्री के जरिए दिल्ली वालों से जो भी वादे किए थे उन्हें पूरा करने की चुनौती है । बतादें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के विकास और निवासियों के जीवन स्तर में सुधार के लिए कई वादे किए हैं, जिनमें स्कूलों और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार शामिल है। चूंकि अब दिल्ली में बीजेपी की सरकार है, इन वादों को पूरा करने की जिम्मेदारी उन पर होगी। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि ये वादे किस हद तक पूरे होते हैं और जनता की अपेक्षाओं पर खरे उतरते हैं।