बीजेपी जिलाध्यक्षों के लिए उत्तर प्रदेश में मध्यप्रदेश वाला फार्मूला जातीय समीकरण और मजबूत पकड़ वालों को मौका!!
प्रखर डेस्क। उत्तर प्रदेश में बीजेपी संगठन चुनावों में जिला अध्यक्ष पद के लिए नामों की घोषणा लगातार टलती जा रही है। खबर है कि इस बार चयन प्रक्रिया में उम्मीदवार के संगठनात्मक अनुभव, कार्यकर्ताओं के बीच उनकी स्वीकार्यता, और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा जैसे कारकों को प्राथमिकता दी जाएगी । कहने के लिए बीजेपी के संगठनात्मक चुनावों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया के तहत की जाती है। प्रत्येक जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं से रायशुमारी की जाती है, जिसके आधार पर संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार की जाती है। इसके बाद, पार्टी के वरिष्ठ नेता और पर्यवेक्षक इन नामों पर विचार-विमर्श करके सर्वसम्मति से जिला अध्यक्ष का चयन करते हैं। लेकिन इसके उलट जिले में प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के प्रभाव वाले उनके विश्वास पात्रों को ही जिलाध्यक्ष बनाया जाता रहा है। बतादें कि इस बार उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी मध्य प्रदेश के फार्मूले पर काम करने जा रही है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में हाल ही में हुए जिला अध्यक्षों के चयन में, पार्टी ने सिफारिश की बजाय मेरिट वाले नेताओं को कई जिलों में मौका दिया है। इसके साथ ही नए जनाधार वाले चेहरों को मौका दिया है, जिसमें महिलाओं की भी महत्वपूर्ण भागीदारी रही है। माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार उत्तर प्रदेश में भी नए उत्साही नेताओं के साथ साथ जातीय समीकरण और महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित करते हुए जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा एक या दो दिनों में होने की संभावना है। सूत्रों की माने तो बीजेपी में इस बार पैरवी से ज्यादा जातीय समीकरण और काम करने वाले लोगों को मौका देने जा रही है।