काशी के मणिकर्णिका घाट पर भव्य रूप से खेली गई चिता भस्म की होली
प्रखर वाराणसी। 11 मार्च – बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में हर साल की तरह इस वर्ष भी रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म की होली का अलौकिक और अनूठा आयोजन किया गया। जहां आम दिनों में यह घाट शवदाह स्थल के रूप में जाना जाता है, वहीं इस दिन यहां उत्सव का माहौल रहता है। सुबह से ही इस अनोखी परंपरा के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। बाबा महाश्मशान नाथ मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर के नेतृत्व में हजारों श्रद्धालुओं ने इस दिव्य आयोजन में भाग लिया। परंपरा के अनुसार, इस दिन बाबा विश्वनाथ अपने प्रिय गणों—भूत, पिशाच, किन्नर और अदृश्य शक्तियों—के साथ चिता भस्म से होली खेलने के लिए मणिकर्णिका घाट आते हैं। मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना कराकर काशी लौटते हैं, और तभी से काशी में होली के उत्सव की शुरुआत होती है। इस उल्लासमय पर्व में देवी-देवता, यक्ष, गंधर्व और मनुष्य सभी सम्मिलित होते हैं, परंतु शिव के गण, जो आम जनमानस के बीच नहीं आते, वे अलग रह जाते हैं। इन्हीं शिव गणों को प्रसन्न करने और उनके साथ होली खेलने के लिए बाबा महाश्मशान पर आते हैं।
हजारों भक्तों की उपस्थिति में बाबा का मध्याह्न स्नान मणिकर्णिका तीर्थ पर संपन्न हुआ। इसके बाद बाबा महाश्मशान नाथ और माता मशान काली की विशेष आरती की गई, जिसमें जया, विजया, मिष्ठान और सोमरस का भोग अर्पित किया गया। इसके पश्चात चिता भस्म और नीले व लाल गुलाल से होली खेली गई। पूरा मणिकर्णिका घाट भस्म की आभा से चमक उठा, और भक्त इस अलौकिक दृश्य को देखकर भाव-विभोर हो गए। हर साल की तरह इस बार भी देश-विदेश से श्रद्धालु इस विलक्षण आयोजन का हिस्सा बनने के लिए पहुंचे। इस अवसर पर जगतगुरु सतुवा बाबा संतोष दास जी महाराज, अघोर पीठाधीश्वर कपाली बाबा जी महाराज, गुलशन कपूर (मंदिर व्यवस्थापक), चैनू प्रसाद गुप्ता (अध्यक्ष), विजय शंकर पांडेय, अंकित झीगरन, राजू पाठक, बिहारी लाल गुप्ता, सोनू कपूर, संजय गुप्ता, मनोज शर्मा, दीपक तिवारी, विवेक चौरसिया, अजय गुप्ता, करण जायसवाल, सुबोध वर्मा सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे। काशी का यह अद्भुत आयोजन दुनियाभर में अपनी अनूठी परंपरा और आध्यात्मिक महत्ता के कारण प्रसिद्ध होता जा रहा है। चिता भस्म की होली सिर्फ रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु के शाश्वत सत्य को आत्मसात करने का पर्व भी है। शिवभक्तों के लिए यह केवल होली नहीं, बल्कि शिवत्व को प्राप्त करने का एक अवसर है।