विकास कार्यों में देरी पर प्रशासन सख्त ,तीन अधिकारियों का वेतन रोका
प्रखर वाराणसी। विकास कार्यों में देरी को लेकर शासन स्तर से नाराजगी जाहिर किए जाने के बाद प्रशासनिक स्तर पर सख्ती बढ़ गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हाल ही में पीडब्ल्यूडी और अन्य विभागों के धीमे प्रगति पर नाराजगी जताने के बाद अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू हो गई है। मंगलवार को मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें सभी निर्माणाधीन परियोजनाओं की समीक्षा की गई। उन्होंने निर्देश दिया कि 31 मार्च तक सभी लंबित कार्य पूरे किए जाएं। इस दौरान तीन अधिकारियों की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए उनका वेतन रोकने के आदेश दिए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, अप्रैल के अंतिम सप्ताह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी दौरे पर आ सकते हैं। वे इस दौरान कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास कर सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने लंबित परियोजनाओं को तय समय पर पूरा करने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री के संभावित दौरे को देखते हुए आयुक्त ने प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा बैठक किया है । जिसमें हर घर नल योजना की 136 योजनाएं पूरी होने की बात कही गई। मुख्य विकास अधिकारी को इनका निरीक्षण कराने के निर्देश दिए गए। 110 आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की गई और जल्द पूरा करने को कहा गया। 77 विद्यालयों में भवन जीर्णोद्धार के कार्यों को मार्च के अंत तक पूरा करने के निर्देश दिए गए। 6 महत्वपूर्ण सड़कों को जल्द पूरा करने की योजना, जिनमें भदोही-वाराणसी रोड, 36वीं वाहिनी पीएसी में 200 बेड बैरक, कुरु पॉलीटेक्निक समेत अन्य सड़कें शामिल हैं। स्मार्ट डिस्ट्रिब्यूशन प्रोजेक्ट (स्काडा कंट्रोल), अंडरग्राउंड इलेक्ट्रिकल इंफ्रास्ट्रक्चर समेत अन्य परियोजनाओं में देरी पर कार्रवाई के आदेश। सामने घाट और शास्त्री घाट का काम पूरा हो चुका है, जबकि मांडवी घाट का कार्य मार्च के अंत तक पूरा होगा। सिंथेटिक हॉकी मैदान के निर्माण में लगातार हो रही देरी पर सख्ती, 10 दिन में कार्य पूरा करने का आदेश। इसके साथ ही सम्पूर्णानंद विश्वविद्यालय की बाउंड्री निर्माण कार्य को जल्द पूरा करने की हिदायत दी गई। आयुक्त ने अनुपस्थित अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए बैठक से अनुपस्थित रहने पर यूपीआरआरएन, लैकफेड, आरईएस के प्रोजेक्ट मैनेजर और बीएसए वाराणसी का वेतन रोकने के निर्देश दिए गए। इसके अलावा, सभी कार्यों के निरीक्षण और हैंडओवर प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी करने के आदेश दिए गए हैं। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर तय समयसीमा में कार्य पूरे नहीं होते हैं तो संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों की जिम्मेदारी तय की जाएगी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।