पंचायत चुनावों से पहले चंदौली में नए समीकरण बाहुबली उपेंद्र गुड्डू ने भागवत कथा के बहाने दिखाई ताकत !!
प्रखर चंदौली । सैयदराजा से भाजपा विधायक सुशील सिंह और चाहनियां से प्रमुख रहे उपेंद्र सिंह गुड्डू के बीच तल्खी लगातार बढ़ती जा रही है। चहनिया ब्लॉक प्रमुख अरुण जायसवाल के मामले में दोनों बाहुबली नेता एक दूसरे के आमने-सामने खुलकर आ गए हैं । तल्खी इस कदर बढ़ गई है कि बाहुबली बृजेश सिंह के छोटे पुत्र सागर के विवाह में निमंत्रण के बावजूद उपेंद्र गुड्डू ने गोवा और बनारस दोनों जगह से अपनी दूरी बनाए रखी थी जिसकी चर्चा चंदौली के सियासी गलियारों में लगातार हो रही है। जबकि इस आयोजन में पूर्वांचल सहित कई प्रदेशों के छत्रप देखे गए थे। स्थानीय प्रभावशाली लोगों को भी बुलाया गया था। लेकिन बड़े बड़े प्रभावशाली लोगों के बीच स्थानीय छत्रपों के कार्यक्रम में शरीक होने की सूचना सुर्खियां नहीं बटोर पाई थीं ।
जबकि इस आयोजन में करोड़ों खर्च किए गए थे। इसके बाद उपेंद्र गुड्डू ने अपने घर पर भागवत कथा का आयोजन किया जिसमें जिले के बड़े-बड़े दिग्गजों का जमावड़ा लगा रहा यहां तक की बाहुबली एमएलसी विनीत सिंह, सपा के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू बीजेपी के सभी स्थानीय नेताओं और राज्य सभा सांसद साधना सिंह सहित सपा के सकलडीहा विधायक प्रभुनाथ यादव भी उनके निमंत्रण में शरीक हुए लोगों का कहना है कि इस कार्यक्रम में स्थानीय छत्रप न सिर्फ शामिल हुए बल्कि कथा के बाद चले बैठकों के दौर में चन्दौली की राजनीति पर जमकर चर्चा हुई। लेकिन इस पूरे कार्यक्रम के दौरान बृजेश- सुशील परिवार लगातार अनुपस्थित रहा । चंदौली की सियासत को समझने वाले कहते है कि जिले में आगामी पंचायत चुनावों के मद्देनज़र राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हुई हैं, और नए समीकरण उभरते दिखाई दे रहे हैं। चर्चा है कि क्षेत्र के दो प्रमुख बाहुबली नेताओं—उपेंद्र सिंह गुड्डू और बृजेश सिंह—के बीच सीधा मुकाबला हो सकता है क्योंकि बृजेश सिंह अपने बड़े पुत्र को जिलांचयत सदस्य बनाने के बाद चंदौली के जिलापंचायत अध्यक्ष पद पर देखना चाहते हैं तो वहीं दूसरी ओर इस पद पर कुंडली मार कर बैठे भूतपूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष छत्रबली सिंह इसे किसी भी कीमत पर अपने हाथ से निकलने नहीं देना चाहते हैं।
लिहाजा उपेंद्र गुड्डू के भागवत में छत्रबली सिंह ने खूब समय दिया इस आयोजन में चंदौली के स्थानीय छत्रप लगातार देखे गए। चंदौली की राजनीति को नजदीक से देखने वालों का कहना है कि उपेंद्र सिंह गुड्डू, जो ‘चंदौली लोकल’ के नाम से अपनी पहचान बना रहे हैं, स्थानीय नेताओं के साथ गठजोड़ कर अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हैं। उनकी यह रणनीति उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष पद की दौड़ में एक नए और महत्वपूर्ण ध्रुव के रूप में स्थापित कर सकती है। इन नए राजनीतिक समीकरणों के बीच, चंदौली की राजनीति में आगामी पंचायत चुनावों को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है। स्थानीय मतदाता इन बदलावों पर करीबी नज़र रख रहे हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि ये गठजोड़ और प्रतिस्पर्धाएँ चुनावी नतीजों को कैसे प्रभावित करेंगी। दूसरी ओर बृजेश सिंह के भतीजे, सुशील सिंह, वर्तमान में सैयदराजा से भाजपा विधायक हैं और 2007 से लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। हालांकि, 2012 में उन्होंने सकलडीहा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक पकड़ साबित किया था। वर्तमान परिदृश्य में, चर्चा है कि सुशील सिंह सैयदराजा की बजाय दूसरे जगह से चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं, जिससे राजनीतिक समीकरण और भी जटिल हो सकते हैं।
यह निर्णय उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। गौरतलब है कि बृजेश सिंह और उपेंद्र गुड्डू में हमेशा से अच्छा संबंध रहा है लेकिन चहनियां ब्लाक प्रमुख विवाद मामले में बृजेश सिंह की चुप्पी के बाद चंदौली में नए राजनीतिक समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं। जिलापंचायत अध्यक्ष पद पर पहले भी सुशील सिंह रस्साकसी कर चुके हैं इस बार बृजेश सिंह अपने बेटे के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं लेकिन इस जमीन पर चंदौली में पहले से खेती कर रहे सुशील सिंह की राजनीति उन्हें फिलहाल मजबूती से खड़े होने नहीं दे रही है।