राणा सांगा जयंती पर करणी सेना का शक्ति प्रदर्शन, प्रशासन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए मुस्तैद
– आगरा में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था, सपा सांसद के बयान से बढ़ा तनाव
प्रखर आगरा । वीर योद्धा राणा सांगा की जयंती के अवसर पर शनिवार को उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में माहौल खासा संवेदनशील हो गया है। यहां गढ़ी रामी गांव में करणी सेना द्वारा आयोजित ‘रक्त स्वाभिमान सम्मेलन’ में देशभर से करीब तीन लाख क्षत्रियों के जुटने का दावा किया जा रहा है। कार्यक्रम को लेकर प्रशासन ने चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात कर दिया है और सुरक्षा व्यवस्था को चाकचौबंद कर दिया गया है। कार्यक्रम का आयोजन दोपहर 1:15 बजे से शाम 5 बजे तक होना तय है, जिसमें राणा सांगा की वीरता, साहस और स्वाभिमान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। करणी सेना इसे सिर्फ एक जयंती नहीं, बल्कि क्षत्रिय गौरव और एकता के प्रदर्शन के रूप में देख रही है। इस बार राणा सांगा की जयंती विशेष रूप से विवादों के घेरे में आ गई है। दरअसल, समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने 21 मार्च को संसद में दिए गए एक बयान में राणा सांगा को गद्दार कह दिया था। उन्होंने कहा था कि राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को भारत बुलाया और यदि मुसलमानों को बाबर का वंशज माना जाता है, तो राणा सांगा जैसे व्यक्तियों के वंशजों को भी उसी नजर से देखा जाना चाहिए। इस बयान के बाद क्षत्रिय समाज में गहरा आक्रोश फैल गया। करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने रामजी लाल सुमन के घर पर विरोध प्रदर्शन किया और मामले को लेकर सरकार से कार्रवाई की मांग की। राणा सांगा, जिनका वास्तविक नाम महाराणा संग्राम सिंह था, ने 1509 से 1528 तक मेवाड़ पर शासन किया। वे दिल्ली, गुजरात और मालवा के सुल्तानों के खिलाफ कई युद्धों में विजयी रहे। 1527 में बाबर के खिलाफ खानवा का ऐतिहासिक युद्ध लड़ा, जिसमें वे घायल हुए और अंततः 1528 में उनका निधन हो गया। राणा सांगा की वीरता, राजपूत एकता की भावना और बलिदान ने आगे चलकर महाराणा प्रताप जैसे योद्धाओं को प्रेरणा दी। भारी भीड़ और राजनीतिक पृष्ठभूमि को देखते हुए प्रशासन ने कार्यक्रम स्थल और उसके आसपास अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की है। सभी आगंतुकों की जांच की जा रही है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्रोन कैमरों से निगरानी की जा रही है। प्रशासन का कहना है कि किसी भी प्रकार की अशांति या भड़काऊ गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस आयोजन को लेकर राजनीतिक हलकों में भी चर्चा तेज हो गई है, और माना जा रहा है कि यह सम्मेलन आगामी चुनावी समीकरणों पर भी असर डाल सकता है।