बीएचयू में मात्र 3 लाख के खर्च में किडनी ट्रांसप्लांट सफल!


1999 में हुआ था पहला ट्रांसप्लांट

प्रखर वाराणसी। किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अब लखनऊ, दिल्ली या फिर गुरुग्राम जाने की जरूरत नहीं है। अब ये सुविधा पूर्वांचल के वाराणसी में स्थित आईएमए बीएचयू में किडनी का ट्रांसप्लांट शुरू हो गया है। करीब 13 साल बाद बीएचयू में बीते गुरुवार को किडनी ट्रांसप्लांट का सफल ऑपरेशन किया गया। इस ऑपरेशन में करीब 6 घण्टे का वक्त लगा। 72 घंटे के कड़े ऑब्जरवेशन के बाद अब मरीज की हालत बेहतर बताई जा रही है। जांच में किडनी का फंक्शन काम करना शुरू भी कर दिया है। दरअसल, आईएमएस बीएचयू के निदेशक एस एन शंखवार ने जब बीएचयू आईएमएस का पदभार संभाला तो उन्हें इसकी पता चला कि यहां किडनी ट्रांसप्लांट नहीं होता। उन्होंने इसकी शुरुआत के लिए प्रयास शुरू किया और अब कुछ ही महीनों में यह काम शुरू भी हो गया। प्रोफेसर एस एन शंखवार ने बताया की वाराणसी के रोहनिया निवासी अरुण कुमार की दोनों किडनी खराब थी। उन्हे पहले डॉक्टरों के ऑब्जर्वेशन में रखा गया और फिर जांच के बाद उनकी पत्नी सुष्मा रानी ने अपनी बाईं किडनी उन्हें डोनेट की। फिलहाल, सफल ऑपरेशन के बाद दोनों को डॉक्टर के ऑब्जर्वेशन में रखा गया है। 6 घंटे तक चले के इस ऑपरेशन में यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग के एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम थी और इसका कुल खर्च करीब 3 लाख रुपये आया है। इतनी कम खर्चे में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद अब आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों का ट्रांसप्लांट आसानी से हो जाएगा। यहां तक की भारत सरकार द्वारा बनाए गए आयुष्मान कार्ड से भी इलाज संभव हो सकेगा। अगर बात करें प्राइवेट अस्पतालों की तो वहां किडनी ऑपरेशन के लिए करीब 12 से 15 लाख रुपये चार्ज वसूला जाता है। बीएचयू में वर्ष 1999 में किडनी ट्रांसप्लांट का काम शुरू हुआ था। प्रोफेसर पी बी सिंह ने पहला सफल किडनी ट्रांसप्लांट किया था। उसके बाद 2010 तक लगातार आईएमएस बीएचयू में किडनी ट्रांसप्लांट हुआ, जिसमें करीब 80 मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था। अब एक बार फिर वहां किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हो गई है।