हिंदू समाज को उसकी ताकत का एहसास शिवाजी ने कराया – प्रो. राकेश

प्रखर वाराणसी। प्रबल आक्रमणकारी को समाप्त करके अपना सिंहासन निर्माण करने का सामर्थ्य हिंदू जाति में है इस बात को शिवाजी ने सिद्ध किया है। दिल्ली में मुगल बीजापुर में आदर्श चाहिए और गोलकुंडा में निजामशाही इस त्रिकोण के मध्य भी वर्ष 1674 में ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी के दिन छत्रपति शिवाजी ने हिंदूपाद पदशाही की स्थापना की। शिवाजी वह वीर थे जिन्होंने मात्र 14 वर्ष की अवस्था में तोरणा के किले पर विजय प्राप्त की थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत द्वारा एस एस पब्लिक स्कूल बाबतपुर में चल रहे संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष (सामान्य) के 20 दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में हिंदू साम्राज्य दिनोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उक्त विचार जेएनयू के पत्रकारिता संस्थान के विभागाध्यक्ष प्रो.राकेश उपाध्याय ने रखें राकेश जी ने बताया कि इतिहासकार सर यदुनाथ सरकार ने 1920 से 1930 के मध्य में शिवाजी के ऊपर गहन अध्ययन किया और शिवाजी के जीवन को प्रथम बार पाठ्य पुस्तकों में स्थान प्राप्त हुआ । शिवाजी ने हिंदू साम्राज्य की स्थापना उस समय की जब जनसामान्य के मध्य में “दिल्लीश्वरो वा जगदीशश्वरो
वा ” का भाव भरा हुआ था जिसका अर्थ है जो दिल्ली का राजा है वही परमेश्वर है और उस समय दिल्ली में मुगलों का आधिपत्य था। काशी मथुरा अयोध्या में हिंदू संस्कृति पर जैसे झाड़ू लग गई थी मगर उस आंधी को मात देकर शिवाजी महाराज जैसे सूर्य का उदय हुआ। शिवाजी के राज्यारोहण के पूर्व कभी लगता ही नहीं था कि हिंदू संस्कृति सभ्यता का सूर्य दोबारा इस धरा पर उदित होगा। वक्ता ने आगे बताया कि 1646 से 1654 तक के मध्य में 40 से ज्यादा किलो से मुगलिया झंडा हटा कर भगवा झंडा लगा दिया गया था। शिवाजी कुशल रणनीतिकार थे, उन्होंने 50000 की फौज लेकर आए अफजल खान को बाघ नख से मारकर हत्या कर दी। शिवाजी के बार-बार विजई होने का कारण यह भी था कि शिवाजी ने देशभक्तों की एक लंबी फौज तैयार की थी जिसमें जीवाजी, बाजीराव देशपांडे, तानाजी मालसुरे का आदि अनेक कई नाम है। शिवाजी गुरिल्ला युद्ध के जनक माने जाते हैं साथ ही भारत में नौसेना स्थापित करने का श्रेय भी शिवाजी को जाता है। शिवाजी स्त्री को माता के समान मानते थे कल्याण के सूबेदार की बहू को युद्ध में विजयी होने के बावजूद उसे स्त्री को उसके पिता के पास भिजवा दिया। वास्तव में शिवाजी का लालन-पालन ही इस प्रकार से हुआ था कि उनके मन में स्वराज की चिंगारी बचपन से ही जागृत थी। शिवाजी की माता जीजाबाई और उनके गुरु दादाजी कोंडदेव का उनके जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा।। वाराणसी से शिवाजी का विशेष संबंध है, क्योंकि यही के विद्वान वेद पंडित गागा भट्ट ने शिवाजी का राज्याभिषेक करवाया था। मंच पर वर्ग के वर्ग अधिकारी पुनीत लाल जी उपस्थित थे एसएस पब्लिक स्कूल के निदेशक प्रबोध नारायण सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया एवं शिवाजी और भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि की गयी। डॉ सुजीत ने अमृत वचन एवं शिवम ने एकल गीत की प्रस्तुति की। मंच का संचालन वर्ग के सह वर्ग कार्यवाह सुरेंद्र ने किया। इस अवसर पर प्रांत प्रचारक प्रमुख रामचंद्र, प्रांत प्रचारक रमेश, सह प्रांत कार्यवाह राकेश, सर्व व्यवस्था प्रमुख गौरीशंकर दुबे काशी विभाग प्रचारक कृष्णचंद्र वर्ग कार्यवाह सच्चिदानंद त्रिपाठी प्रांत शारीरिक प्रमुख संतोष कुमार विभाग प्रचारक विंध्याचल प्रतोष कुमार मुख्यशिक्षक प्रवेश कुमार सहित
बड़ी संख्या में संघ के अधिकारी एवं वर्ग में शिक्षा प्राप्त कर रहे शिक्षार्थी उपस्थित थे।