चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा चंद्रयान-3, पीएम ने बधाई

प्रखर नई दिल्ली/एजेंसी। भारत के वैज्ञानिकों ने बुधवार को वो करिश्मा कर दिखाया, जिस पर न सिर्फ पूरे देश को नाज है, बल्कि पूरी दुनिया उनका लोहा मानने को मजबूर हो गई है. हमारा चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर लैंड कर गया. ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया. ऐसा इसलिए क्योंकि चांद पर अब तक जितने भी मिशन भेजे गए, उनमें से किसी भी मिशन का उद्देश्य चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव नहीं था. चंद्रमा का यह इलाका बहुत ही विषम परिस्थितियों वाला माना जाता है. यहां का तापमान भी काफी कम रहता है । आज की यह तारीख दुनिया के इतिहास में दर्ज हो गई. हमारे वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि पर पूरा देश गौरवान्वित महसूस कर रहा है. चांद पर भारत का यह तीसरा मिशन था. इससे पहले भी दो मिशन भेजे गए थे. पिछली बार 2019 में भी हमारा मिशन, चंद्रयान-2, करीब-करीब कामयाबी के पास पहुंच गया था. लेकिन आखिरी वक्त पर कुछ तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से मायूसी हाथ लगी थी. इस बार उन गलतियों को सुधारा गया और हमारे वैज्ञानिकों ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि इस बार कोई चूक नहीं होगी. इसके बावजूद अंतिम के 15-20 मिनट के दौरान सबकी धड़कनें थम सी गई थीं. इस दौरान लैंडर की स्पीड को ऑटोफीड के आधार पर नियंत्रित किया गया. एलवीएम-3 एम-4 व्हीकल के माध्यम से चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक कक्षा में पहुंचाया गया. चंद्रयान-3 ने नियत कक्षा में अपनी यात्रा शुरू की.15 जुलाई : आईएसटीआरएसी/इसरो, बेंगलुरु से कक्षा बढ़ाने की पहली प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई.17 जुलाई : दूसरी कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी. चंद्रयान-3 ने 41603 किमी x 226 किमी कक्षा में किया प्रवेश.22 जुलाई : अन्य कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी.25 जुलाई : चंद्रयान-3, 71351 किमी x 233 किमी की कक्षा में पहुंचा.एक अगस्त : इसरो ने ‘ट्रांसलूनर इंजेक्शन’ (एक तरह का तेज़ धक्का) को सफलतापूर्वक पूरा किया. अंतरिक्ष यान ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित किया. यान 288 किमी x 369328 किमी की कक्षा में पहुंचा.पांच अगस्त : चंद्रयान-3 की लूनर ऑर्बिट इनसर्शन (चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने की प्रक्रिया) सफलतापूर्वक पूरी. 164 किमी x 18074 किमी की कक्षा में पहुंचा.छह अगस्त : इसरो ने दूसरे लूनर बाउंड फेज (एलबीएन) की प्रक्रिया पूरी की. यान 170 किमी x 4313 किमी की कक्षा में पहुंचा. इसरो ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश के दौरान चंद्रयान-3 से लिया गया चंद्रमा का वीडियो जारी किया.नौ अगस्त : चंद्रयान-3 की कक्षा घटकर 174 किलोमीटर x 1437 किलोमीटर रह गई.14 अगस्त : चंद्रयान-3 कक्षा का चक्कर लगाने के चरण में पहुंचा. यान 151 किमी x 179 किमी की कक्षा में पहुंचा.16 अगस्त : यान को चंद्रमा के और करीब पहुंचाने के लिए विशेष ‘फायरिंग’ की जाती है. ‘फायरिंग’ की एक और प्रक्रिया पूरी. यान 153 किलोमीटर x 163 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचा.17 अगस्त : लैंडर मॉडयूल को प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग किया गया.19 अगस्त : इसरो ने लैंडर मॉड्यूल की डी-बूस्टिंग की प्रक्रिया की.20 अगस्त : लैंडर मॉड्यूल पर एक और डी-बूस्टिंग. लैंडर मॉड्यूल 25 किलोमीटर x 134 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचा.21 अगस्त : चंद्रयान-2 से चंद्रयान-3 का संचार कायम हुआ.22 अगस्त : इसरो ने चंद्रयान-3 के लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) से करीब 70 किलोमीटर की ऊंचाई से ली गई चंद्रमा की तस्वीरें जारी कीं.