अयोध्या की माताओं का चरित्र और राम केवट संवाद सुनकर विह्वल हुए श्रोता

बी आर पी कालेज में श्रीराम कथा के छठवें दिन भी उमड़ी रामभक्तो की भारी भीड़

प्रखर जौनपुर। प्रख्यात कथा वाचक शांतनु महराज ने श्रीराम कथा सुनाते हुए छठवें दिन कहा कि रघुवंश की माताओं कौशल्या सुमित्रा मां जानकी एवं उर्मिला जी का चरित्र आदर्श है। सेवा भारती द्वारा आयोजित बी आर पी इण्टर कालेज के मैदान पर श्रीराम कथा श्रवण करने उपस्थित विशाल धर्मानुरागियो को कथा का रसपान कराते हुए उन्होंने कहा कि यह देश और धर्म संस्कृति यदि सुरक्षित है तो इन्हीं माताओं और बहनों के कारण है। जिन्होंने अपने पुत्रों को अपने भाइयों को अपने बेटों को तिलक लगाकर धर्म की रक्षा के लिए भेज दिया । महाराज जी ने कथा में आगे कहा की मां जानकी राम लक्ष्मण के साथ वन के लिए निकली तो पूरी अयोध्या मां कैकेई को धिक्कार देते हुए साथ चल पड़ी। यही तो अयोध्या वासियों का भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण है। गुह और भगवान के मिलन महाराज श्री ने रामराज का आधार बताया जहां पर बड़े और छोटे में कोई भेद नहीं। रामचरितमानस के सबसे रस भरे प्रसंग केवट प्रसंग को सुनाते हुए महाराज जी ने कहा यदि परमात्मा से मिलन करना हो तो एकदम सरल सहज और भोले हो जाइए। भगवान राम से केवट चरण धुलवा कर पार उतारने की बात करता है। यही तो भक्त और भगवान के बीच का संबंध है । केवट भगवान से अनेक तर्क करता है कि प्रभु आप दयालु भक्तों के रुदन बर्दाश्त नहीं कर पाते है। इसलिए महाराज श्री ने बताया कि रूदन ही वह भक्ति मार्ग की वह साधना है जो भगवत मिलन करा देती है ।नाव से भगवान ने गंगा पारकर केवट को उतरवाइ देना चाहा किंतु केवट ने मना कर दिया। प्रभु लौट कर जब आना तब दे देना । आप जो दोगे हम ले लेंगे। भगवान गंगा पार करने पर केवट को बहुत कुछ देना चाहते हैं लेकिन केवट कुछ नहीं लिया। जो भगवान से कुछ नहीं लेता भगवान उसके ऋणी हो जाते हैं।मुख्य प्रायोजक ज्ञानप्रकाश सिंह ने सभी के प्रति आभार जताया। मुख्य रूप से आर एस एस के प्रांत प्रचारक रमेश जी प्रदेश के लोकनिर्माण राज्य मंत्री कुंवर बृजेश सिंह, विद्यासागर सोनकर, सुशील सिंह विधायक सैयदराजा, मीना चौबे जिलाधिकारी अनुज कुमार झा, एसपी अजय पाल शर्मा, जिला जज वाणी रंजन श्रीवास्तव , अपर जिला जज शरद त्रिपाठी, संदीप सिंह,सुभाष यादव रागिनी सिंह सहित दर्जनों विशिष्ट लोग उपस्थित रहे।