नगर निगम के भ्रष्टाचार से कराह रहे वाराणसी के गंगा घाट, गंदगी से दिनों दिन स्थिति हो रही बदतर!

प्रखर वाराणसी। यह तस्वीर बताती है कि वाराणसी में नमामि गंगे का जिस तरह गुणगान प्रधानमंत्री हमेशा गाते हुए नहीं थकते। वाराणसी नगर निगम के अधिकारी जिनकी देख रेख में यह घाट आता है। उनको भी प्रधानमंत्री के इस इमोशन की कोई चिंता नहीं है। कहा जा सकता है प्रधानमंत्री का इमोशन एक तरफ और उनकी मनमानी एक तरफ! घाट की स्थिति देखकर साफ तौर पर लगता है कि नगर निगम के नगर स्वास्थ्य अधिकारी सहित तमाम आला अधिकारी सिर्फ खानापूर्ति के लिए साफ सफाई का बजट आवंटन कर बड़ा भ्रष्टाचार करते हैं। अब बड़ा सवाल यह है कि लगातार इस तरह की गंदगी की तस्वीरें सोशल मीडिया सहित मीडिया में वायरल होती रहती है। लेकिन आज तक कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया। बतादे कि नगर निगम वाराणसी साफ सफाई के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों खर्च करता है। लेकिन साफ-सफाई की व्यवस्था जस की तस बनी रहती है। बीते दो-तीन महीनो से वाराणसी में बुखार का प्रकोप लगातार जारी है। लोगों का कहना है कि नगर निगम कि इस गंदगी की वजह से लगातार बुखार सहित अन्य बीमारियां समय-समय पर अपना पांव पसारती रहती हैं। अब सवाल यह है कि करोड़ों खर्च होने के बाद भी वाराणसी का जनमानस अगर इसी तरह बीमार होता रहा तो सरकार द्वारा दिया जा रहा नगर निगम वाराणसी को करोड़ों का बजट आखिर किस काम का! घाट के आसपास रहने वालो ने पूछने पर बताया कि सिर्फ खानापूर्ति के लिए यहां पर नगर निगम के कर्मी आते हैं और चले जाते हैं। पूर्व में जिस कंपनी को नगर निगम ने घाटों की साफ सफाई की जिम्मेदारी दी थी, उसे इसलिए निकाल दिया गया कि वह सही तरीके से घाटों की साफ सफाई नहीं करती है। अब बड़ा सवाल यह है कि अगर उक्त कंपनी घाटों की साफ सफाई ठीक से नहीं करती थी, तो आखिरकार नगर निगम ने जब अपने हाथ में बागडोर संभाली तो स्थिति उससे भी बदतर क्यों हो गई? इस सवाल का जवाब देने से नगर निगम लगातार कतराता रहता है। लेकिन अब घाटों की मनोदशा यह बतलाती है कि इसमें राज्य सरकार और केंद्र सरकार के अधिकारियों का बोलबाला ज्यादा है। पता नहीं कब मां गंगा और उनसे लगे घाटों की सफाई होगी। जबकि वाराणसी में सारे त्यौहार भी बीत चुके हैं। जीपीएस ट्रैकर द्वारा ली गई फोटोग्राफ स्थिति को साफ तौर पर बयां कर रहा है।