सार्वजनिक हुई सर्वे रिपोर्ट ने बताई सच्चाई की कभी मंदिर था ज्ञानवापी?

प्रखर वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट की नकल गुरुवार को पांच लोगों को मिल गई है। मुकदमे से संबंधित पक्षकारों ने गुरुवार को अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद होटल जाकर प्रेस कांफ्रेंस की है। हिंदू पक्षकारों का दावा है कि एएसआई रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है कि वहां 32 ऐसे जगह प्रमाण मिले हैं जिससे हिंदू पक्ष का दावा मजबूत होता है।एएसआई की सर्वे रिपोर्ट पढ़ते हुए अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां 32 ऐसे जगह प्रमाण मिले हैं कि जो बता रहे हैं कि वहां हिंदू मंदिर था। देवनागरी, ग्रंथा, तेलगू, कन्नड़ के इंस्क्रिप्शन मिले हैं। इसके अलावा जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के इंस्क्रिप्शन मिले हैं। रिपोर्ट में एक जगह महामुक्ति मंडप लिखा है। एएसआई कह रहा है कि यह बहुत महत्वपूर्ण बात है।
एएसआई ने सर्वे के दौरान एक पत्थर पाया जो टूटा हुआ था। जदूनाथ सरकार की फाइंडिंग को सही पाया, जिसे 1669 में 2 सितंबर को मंदिर ढहाए गया। जो पिलर थे पहले के मंदिर के उनका इस्तेमाल किया गया है। जो तहखाना S2 है, उसमें हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं।विष्णु शंकर जैन ने बताया कि एएसआई रिपोर्ट में कहता है कि पश्चिमी दीवार एक हिंदू मंदिर का हिस्सा है। उसे आसानी से पहचाना जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, 17वीं शताब्दी में मंदिर तोड़ा गया था, फिर उसे मस्जिद बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया। एएसआई ने रिपोर्ट में कहा है कि यहां मस्जिद से पहले हिंदू मंदिर का स्ट्रक्चर था। वहीं हिंदू पक्षकारों का कहना है कि अब सील वजूखाना की एएसआई सर्वे की मांग सुप्रीम कोर्ट से करेंगे।

सर्वे रिपोर्ट में क्या-क्या मिला?

– ASI ने 839 पन्ने की रिपोर्ट तैयार की है, जो बताती है कि मस्जिद से पहले वहां हिंदू मंदिर था।
– सर्वे में 32 ऐसे जगह प्रमाण मिले हैं, जो बताते हैं कि वहां पहले हिंदू मंदिर था।
– ASI ने जदुनाथ सरकार के इस निष्कर्ष पर भरोसा जताया है कि 2 सितंबर 1669 को मंदिर ढहा दिया गया था।
– देवनागरी, ग्रंथा, तेलुगु, कन्नड़ में लिखे शिलालेख मिले हैं।
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– जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के बारे में शिलालेख मिले हैं।

– एक जगह महामुक्ति मंडप लिखा है, जो ASI के मुताबिक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है।
– मंदिर ढहाए जाने के बाद उसके स्तंभों का इस्तेमाल मस्जिद बनाने में किया गया।
– तहखाना S2 में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां थीं।
– ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार एक हिंदू मंदिर का हिस्सा थी, उसे आसानी से पहचाना जा सकता है।
– तहखाने में मिट्टी के अंदर दबी ऐसी आकृतियां मिलीं जो उकेरी हुई थीं।
– एक कमरे में अरबी और फारसी में लिखे शिलालेख में मिले हैं जो बताते हैं कि मस्जिद औरंगजेब के शासनकाल के 20वें वर्ष यानी 1667-1677 में बनी।