ज्ञानवापी मामला! 473 साल पुराना है व्यास जी का इतिहास, 31 साल पहले होती थी पूजा

प्रखर वाराणसी। ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाना प्रकरण में शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने अदालत में दावा किया कि आदि विश्वेश्वर की पूजा का 473 वर्ष पुराना इतिहास है। व्यास परिवार ज्ञानवापी में मौजूद वीरभद्रेश्वर, महेश्वर, महाकालेश्वर, तारकेश्वर, अविमुक्तेश्वर, मां शृंगार गौरी, श्रीगणेश, हनुमान, नंदीजी और अन्य दृश्य-अद़ृश्य देवी-देवताओं का वंशानुगत पुजारी है। शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास की ओर से अदालत में दी गई दलील के अनुसार ज्ञानवापी में शतानंद व्यास ने वर्ष 1551 में आदि विश्वेश्वर की पूजा शुरू की थी। इसके बाद सुखदेव व्यास, शिवनाथ व्यास, विश्वनाथ व्यास, शंभूनाथ व्यास, रुक्मिणी देवी, महादेव व्यास, कालिका व्यास, लक्ष्मी नारायण व्यास, रघुनंदन व्यास और वर्ष 1930 में बैजनाथ व्यास ने पूजा-पाठ की जिम्मेदारी संभाली थी। बैजनाथ व्यास की उत्तराधिकारी उनकी बेटी राजकुमारी रहीं। फिर उनके बेटे सोमनाथ व्यास, चंद्र व्यास, केदारनाथ व्यास और राजनाथ व्यास हुए। शैलेंद्र ने कहा कि उन्होंने सोमनाथ व्यास की बेटी ऊषा रानी के पुत्र की हैसियत से ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ के अधिकार के लिए मुकदमा दाखिल किया है। इस संबंध में उनके पक्ष में वसीयत भी है। शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास की ओर से मुकदमे में अपने दावे के लिए वर्ष 1843, 1852, 1886, 1906 और 1935 के मुकदमों का हवाला दिया गया। बताया गया कि ज्ञानवापी में व्यास पीठ रही है। वर्ष 1936 के दीन मोहम्मद के मुकदमे का हवाला भी दिया और कहा कि ज्ञानवापी परिसर में ज्ञान मंडप, मुक्ति मंडप, वरोज मंडप, शोभा मंडप और शृंगार मंडप थे। प्राचीन मंदिर परिसर के भीतर देवताओं की पूजा होती थी। ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने के लिए पंडित सोमनाथ व्यास, डॉ. रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय ने 15 अक्तूबर 1991 को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में मुकदमा दाखिल किया था। मुकदमे में कहा गया था कि विवादित स्थल प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के मंदिर का अंश है। उस स्थान पर हिंदुओं को पूजा-पाठ, दर्शन-पूजन और अन्य धार्मिक क्रियाकलापों को संपन्न करने का अधिकार है। फिलहाल, यह मुकदमा भगवान विश्वेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी लड़ रहे हैं। शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने कहा कि उन्होंने और उनके भाई जैनेंद्र कुमार पाठक ने सद्भावना के साथ आठ जुलाई 2016 को सेवायतनामा तैयार कराया था। मकसद था, विश्वनाथ मंदिर बोर्ड पुजारियों और व्यास गद्दी धारण करने वाले व्यक्तियों द्वारा पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक क्रियाकलाप संपन्न कराएगा। शैलेंद्र ने बताया कि तहखाने में पूजा-पाठ उनके नाना सोमनाथ व्यास करते थे। काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में ही वह व्यास भवन में रहते थे। वहीं से वह सुबह-शाम जाकर पूजा किया करते थे। व्यास परिवार 1880 से ज्ञानवापी की लड़ाई लड़ रहा है। दिसंबर 1993 से पहले व्यास परिवार के सोमनाथ व्यास तहखाने में पूजा-पाठ करते थे। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने कहा कि अदालत का निर्णय स्वागत योग्य है। अदालत का जो भी आदेश होगा, उसका पूरी तरह से पालन कराया जाएगा। पूजा-पाठ, राग-भोग की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाएगी