प्रयागराज में एक महीने में 29 आत्महत्याएं, कुछ की वजह गर्मी भी!


प्रखर प्रयागराज। एक महीने में 29 आत्महत्याएं। देखें तो हर दिन किसी न किसी ने अपनी जान दे दी। जैसे-जैसे प्रयागराज में गर्मी बढ़ती गई, खुदकुशी की घटनाएं भी इसी अनुपात में होती रहीं। यह आंकड़ा चिंता बढ़ाने वाला है, लेकिन इसके पीछे के जो कारण मनोचित्सक बताते हैं, वह भी चौंकाता है। मनोचिकित्सक आत्महत्या की वजहों में से एक गर्मी को भी बताते हैं। उनका कहना है कि गर्मी सीधे तौर पर मनुष्य के दिमाग पर असर डालती है। इसका असर हमारे व्यवहार और मनोदशा पर भी गहरा पड़ता है। आइए जानते हैं गर्मी और सुसाइड के बीच का क्या है कनेक्शन और मनोचिकित्सकों की नजर में बढ़ता तापमान कैसे हमें करता है प्रभावित। संगम नगरी में बीते मई माह में करीब हर दिन एक व्यक्ति की ने आत्महत्या की है। पूरे मई में 29 लोगों ने अलग-अलग तरीकों से खुदकुशी कर ली। यह वह समय है जब प्रयागराज में गर्मी रोज ही एक रिकॉर्ड बना रही है। तापमान 46 डिग्री से. तक चला जा रहा है। तनाव भरी जिंदगी में यह बला की गर्मी क्या वाकई हमारी दुश्वारियां बढ़ा रही है और इतना असर डाल रही है कि दिमाग हार मान लेता है? इस पर मनोचिकित्सक कहते हैं कि, हां..यह गर्मी सेहत के साथ ही हमारी मनोदशा को भी पूरी तरह प्रभावित कर रही है। मनोचिकित्सक डॉ. इशान्याराज का कहना है कि कई शोध से यह पता चला है कि इंसान का प्रकृति के साथ गहरा रिश्ता है। जिस तरह का बाहर का मौसम होता है, उसका असर मनुष्य के दिल-दिमाग पर भी पड़ता है। यही कारण है कि जब ज्यादा गर्मी पड़ती है तो बहुत से लोग ठंडे स्थानों पर छुट्टियां बिताने चले जाते हैं और वहां जाने पर उन्हें सुकून व राहत मिलती है। जबकि भीषण गर्मी के दौरान धूप में निकलने के दौरान तमाम तरह की दिक्कतों का सामना लोगों को करना पड़ता है। कड़ी धूप में आने जाने के दौरान गर्मी से लोगों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन गुस्सा और सोचने-समझने की शक्ति पर भी असर पड़ता है। अक्सर धूप से आने के बाद व्यक्ति गुस्से में रहता है और उसके दिमाग को गर्मी प्रभावित करती है। मनोचिकित्सक डॉ. इशान्याराज कहती हैं कि तापमान बढ़ने का सीधा असर दिमाग और शरीर पर पड़ता है। गर्मी की वजह से ही ब्रेन फॉग भी हो जाता है, जिससे कि दिमाग कम काम करने लगता है। उसकी सोचने-समझने की शक्ति प्रभावित होने की वजह से लोग बातें भूलने भी लगते हैं। इसी के साथ चिड़चिड़ापन और गुस्से की वजह से लोगों की सहन शक्ति कमजोर हो जाती है। वे छोटी-छोटी बातों पर भी सामने वाले लड़ जाते हैं। मामूली बातों पर कहासुनी या झगड़े में आवेश में आकर आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। मनोचिकित्सक का कहना है कि जब पारा ज्यादा ऊपर चला जाए तो धूप में निकलने से लोगों को परहेज करना चाहिए। क्योंकि सीधे धूप के संपर्क में आने का प्रभाव शरीर के साथ ही दिमाग पर भी पड़ता है। कड़ी धूप में निकलने पर मस्तिष्क पर भी गर्मी का असर पड़ता है, उस दौरान बहुत से लोग अपने गुस्से पर काबू नहीं कर पाते हैं, जिसके बाद वो आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। कई बार वो अपने साथ ही दूसरों के लिए भी घातक हो जाते हैं। गर्मी बढ़ने के साथ जहां मई में सुसाइड करने वालों की संख्या 29 रही है, वहीं जून में भी मौतों का सिलसिला जारी है। इसी मंगलवार प्रेमी-प्रेमिका ने आत्महत्या कर ली थी। इससे पहले सोमवार को एक वकील ने पत्नी से फोन पर झगड़ने के बाद घर में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मनोचिकित्सकों का मानना है कि गर्मी इसकी वजह है। क्योंकि बढ़ता तापमान लोगों की सहनशक्ति को कम कर रहा है।