भाजपा संग संघ का कोई मतभेद नहीं, इंद्रेश का बयान निजी- संघ प्रमुख मोहन भागवत


प्रखर डेस्क। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने साफ किया है कि लोकसभा चुनावों एवं अन्य किसी मुद्दे पर उसके और भाजपा के बीच कोई मतभेद नहीं है । संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में संघ के तृतीय वर्ष के शिक्षा वर्ग के समापन पर स्वयंसेवकों को सेवा कार्य में अहंकार से बचने का आह्वान किया था , न कि किसी दल या राजनेता के लिए । इसके साथ ही संघ ने अपने वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार के बयान को भी निजी करार दिया है । हालांकि संघ ने माना है कि इस बार के चुनाव में कटुता बढ़ी है । संघ का कहना है कि इस बार के चुनाव में कटुता बढ़ी है । भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के संघ के बारे में बयान को भी संघ ने गंभीरता से नहीं लिया , लेकिन माना कि इससे स्वंयसेवकों पर असर पड़ता है । सूत्रों के अनुसार , नड्डा ने अपने बयान पर संघ नेताओं को भी सफाई दी थी । वरिष्ठ नेता ने संघ की कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश के बयान को निजी बताते हुए कहा कि संघ कभी सीटों को लेकर व राजनीति को लेकर बात नहीं करता है । मोहन भागवत , संघ प्रमुख ने कहा कि आर्गनाइजर में प्रकाशित लेख को भी स्वयंसेवकों की अपनी भावना माना और कहा कि यह संघ का विचार नहीं है । लोकसभा चुनावों से लेकर नतीजे और उसके बाद भी संघ के कुछ नेताओं के बयान और लेख को लेकर भाजपा और संघ के बीच मतभेद की खबरों को संघ ने पूरी तरह से खारिज कर दिया । संघ के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि संघ प्रमुख के नागपुर में साल में दो उद्बोधन होते हैं । एक विजयादशमी पर और दूसरा शिक्षा वर्ग के समापन पर । इसके तीन हिस्से होते हैं । पहले हिस्से में समसामयिक मुद्दों का जिक्र होता है , जिसमें समाज देश में क्या चल रहा है । चूंकि अभी चुनाव हुए थे , तो वह तो आना ही था । जानी चाहिए । सहमति से देश आगे बढ़े । भाषण के दूसरे हिस्से में सभी विषयों पर संघ की दृष्टि को बताया जाता है ।भागवत के 2019 व 2024 का भाषण देखें तो एक ही तरह का था , जबकि नतीजे अलग रहे । 2014 के चुनाव के बाद तब के सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी का बयान आया था , तब भी ऐसी बातें कही गई थीं । संघ का कहना था कि चुनाव में कटुता हो जाती है , वह चुनाव के साथ खत्म हो जाती है। संघ की कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने राजस्थान में एक कार्यक्रम में भाजपा को अहंकारी व इंडिया गठबंधन को राम विरोधी करार दिया था । उन्होंने कहा था कि जिस पार्टी ने राम की भक्ति की लेकिन अहंकारी हो गई उसे 241 सीटें मिलीं और जिनकी राम में आस्था नहीं उनको 234 पर रोक दिया ।