गंगाजल बचाएगा कोरोना से बीएचयू में शोध जारी

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कोरोना महामारी के दौरान गंगाजल सेवन करने वालों में बहुत कम लक्षण पाए गए

प्रखर वाराणसी। पूरी दुनिया कोरोना महामारी को लेकर परेशान हैं, वहीं गंगा जल कोरोना से बचने के लिए रामबाण साबित हो सकता है। बीएचयू के शोध में दिनों दिन या जानकारी सामने आ रही है कि कोविड-19 के इलाज के लिए गंगाजल में 1300 प्रकार के फैक्ट से इलाज संभव हो सकता है। जिसके लिए शोध कार्य जारी है। गंगा जल में लगभग 13 सौ प्रकार के विक्टोरिया( फेक्ट) हैं जो बहुत सी संक्रामक बीमारियों से लड़ने में कारगर साबित हो सकते है।  गंगाजल पर शोध करने वाली बीएचयू के वैज्ञानिकों की टीम द्वारा इस दिशा में की जा रही कोशिश रंग लाती हुई दिख रही है । नमामि गंगे राष्ट्रीय मिशन  ने उनके प्रारंभिक शोध को आगे बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय को लिखा है। अगर आयुष मंत्रालय इससे सहमत होता है तो गंगाजल पर वैज्ञानिक शोध को और आगे बढ़ाया जा सकेगा। गंगाजल पर शोध करने वाले बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर विजयनाथ, प्रोफेसर अभिषेक पाठक तथा इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण गुप्ता ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि हमने गंगाजल का कोविड-19 पर असर  जानने के लिए 600 लोगों का क्लीनिक क्लीनिकल डाटा तैयार किया है। इससे  पता चला कि गंगाजल का नियमित सेवन करने वाले लोगों में कोविड-19  का असर कम रहा और उनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आई। इस पर वैज्ञानिक दृष्टि से और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है ।जो सरकार की मंजूरी के बिना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोविड-19 भी दवा नहीं है। दुनिया भर में तमाम तरीके के शोध हो रहे हैं इसलिए गंगाजल पर भी शोध होना चाहिए। क्योंकि गो मुख से निकलने वाले इसके जल में प्राकृतिक रूप से तमाम ऐसे फेक्ट होते हैं जो  कोविड-19 वायरस को खत्म करने में कारगर हो सकते हैं ।
वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण गुप्ता ने बताया कि उन्होंने गंगाजल पर एक शोध पत्र राष्ट्रपति को भेजा था।  इस शोध पत्र के आधार पर नमामि गंगे ने आईसीएमआर को जांच करने के लिए कहा । मगर आईसीएमआर ने वर्चुअल प्रेजेंटेशन लेने के बाद और कुछ नहीं किया । उन्होंने इसे लेकर के हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल की है जिस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के तमाम संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।