आगे बढ़ना है तो भारत से सीखो, चीन ने पाकिस्तान को दी सलाह!


प्रखर एजेंसी। चीन और पाकिस्तान की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. आतंकवाद का मुद्दा हो या फिर कुछ और विश्व के किसी भी मंच पर जब पाकिस्तान घिर जाता है तो चीन उसकी पैरवी के लिए उतर आता है. यहां तक कि चीन पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में भी दखल देता रहा है। कई बार विश्व मंच पर भारत से घिरने के बाद पाकिस्तान की मदद को चीन आगे आ चुका है, लेकिन हाल में दो ऐसे मामले सामने आए हैं जब चीन ने पाकिस्तान को भारत से सीखने के लिए कहा है.पाकिस्तान के गहरे दोस्त चीन ने उसको भारत से सीखने की नसीहत दी है. पहला वाकया चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) की वर्षगांठ का है, जबकि दूसरा मामला चीन के ग्लोबल टाइम्स में दिए गए एक साक्षात्कार का है जब ड्रैगन ने पाकिस्तान से कहा कि वह भारत से सीखे कि कैसे आगे बढ़ना है.चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस्लामाबाद नीति अनुसंधान संस्थान ने जुलाई में सेमिनार का आयोजन किया था. इस दौरान चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्पररी इंटरनेशनल रिलेशंस (CICIR) में साउथ एशियन स्टडीज के डायरेक्टर हू शिशेंग ने जो टिप्पणी की वह चर्चा में है. सीआईसीआईआर, चीन में सबसे महत्वपूर्ण विदेश नीति और सुरक्षा मामलों के थिंक-टैंकों में से एक है.एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हू शिशेंग ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान को भारत से सीखना चाहिए. उन्होंने कहा कि वहां (भारत) का विकास मुख्य रूप से गुजरात के मॉडल पर आधारित है. चीनी एक्सपर्ट ने कहा कि पाकिस्तान ऐसा क्यों नहीं कर पा रहा है. उन्होंने सलाह दी कि ‘पाकिस्तानी अच्छी स्थिति वाले लोगों का नेतृत्व करें, खराब स्थिति वाले लोगों की मदद करें.’ उन्होंने कहा कि यदि राष्ट्रीय या केंद्र सरकार के स्तर पर सुधारों को बढ़ावा देना मुश्किल है तो प्रत्येक प्रांत अपने स्तर पर बाजार सुधारों को बढ़ावा दे सकता है ताकि संस्थागत स्तर पर सुधारों की एक राष्ट्रीय संस्कृति को संचित किया जा सके. यदि यह अभी भी बहुत मुश्किल है, तो एसईजेड पर ध्यान केंद्रित करें जैसे चीन ने शुरुआती चरण में किया था, ग्वादर पर ध्यान केंद्रित करें। हू शिशेंग ने पाकिस्तान को कई और टिप्स दिए. उन्होंने पाकिस्तान से औद्योगिकीकरण प्रक्रिया को तेज करने पर बहुत जोर दिया ताकि यह ‘क्षेत्रीय विकास के लिए पावरहाउस बन जाए और एक क्षेत्रीय पुल के रूप में काम कर सके.’ हालांकि शिशेंग यह भी उम्मीद नहीं कर रहे थे कि पाकिस्तान अकेले ही या केवल चीन की मदद से सब कुछ हासिल कर लेगा. यही वजह थी कि उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने विकास परियोजना में ‘भागीदारी के लिए नए क्षेत्रीय साझेदारों को लाने का प्रयास करे.’ ऐसा ही दूसरा मामला अभी हाल में सामने आया है. इस महीने की शुरुआत में चीन के ग्लोबल टाइम्स में एक साक्षात्कार में एक पाकिस्तानी पत्रकार ने सुझाव दिया कि भारत ,बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) में शामिल होने पर विचार कर सकता है, अगर उसे ‘ज्यादा नुकसान न उठाना पड़े और अपनी उच्च जीडीपी वृद्धि को बनाए रखने में कठिनाई न हो.’लेकिन हू शिशेंग ने पाकिस्तान को भारत से संबंधित कई क्षेत्रीय परियोजनाओं, जैसे टीएपीआई (तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत) पाइपलाइन और ईरान और रूस के माध्यम से आईएनएसटीसी (अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा) जैसी कई क्षेत्रीय परियोजनाओं का हवाला देते हुए पहल करने के लिए कह रहे थे.उन्होंने याद दिलाया कि भारत और पाकिस्तान पहले ही द्विपक्षीय पारगमन समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं. उन्होंने कहा, ‘हम अगले 10 वर्षों में देखना चाहेंगे, सीपीईसी एक-दूसरे से जुड़े उप-क्षेत्रीय पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.’ साथ ही अपनी बात को यह कहते हुए खत्म किया कि ‘सुधारों के बिना कोई रास्ता नहीं है। हमारे पाकिस्तानी दोस्तों को अपने सुधारों और खुलेपन को गहरा करने की जरूरत है.’हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगी कि चीन बेहतर भारत-पाकिस्तान संबंधों की वकालत कर रहा है, लेकिन यह स्वीकारोक्ति निश्चित रूप से है कि भारत के साथ कनेक्टिविटी की कमी का खामियाजा पाकिस्तान को भुगतना पड़ रहा है.