भगवान की भजन भक्ति में स्वार्थी ही जीवन में परमार्थी होता है- शांतनु जी महाराज

प्रखर जौनपुर। बी आर पी इण्टर कालेज के मैदान में सेवा भारती के सौजन्य से आयोजित श्रीराम कथा के तीसरे दिन शांतनु महराज ने प्रभु राम के जन्मोत्सव की बधाई के साथ कथा प्रारंभ किया। उन्होंने बताया कि जब भगवान प्रगट हुए तो देवता भी आकाश मार्ग से पुष्प की वर्षा करने लगे और अयोध्या के नागरिक जो जैसे था वैसे ही भगवान के दर्शन के लिए दौड़ पड़े।अयोध्या वासियों का उदाहरण देकर भगवान के दर्शन की आचार संहिता बताई। भगवान को प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार की बनावट दिखावट की आवश्यकता नहीं है।परमात्मा को पाने के लिए दौड़ जाओ और भजन में भक्ति में परमार्थ में स्वार्थी होना ही पड़ता है और जो जितना भजन में स्वार्थी हो जाता है संसार के व्यवहार में उतना ही परमार्थी हो जाता है। शांतनु महाराज ने भगवान की बाल लीलाओं का बखान करते हुए उनके रूप दर्शन का वर्णन किया।उन्होंने कहा भगवान का रूप सर्वांग मधुर ही मधुर है। नामकरण संस्कार की चर्चा करते हुए कहा कि नाम संतों से शास्त्रों से बड़े बुजुर्गों से विद्वानों से पूछ कर ही रखना चाहिए क्योंकि हमारे यहां पुरानी कहावत है यथा नाम तथा गुणः । वशिष्ठ जी ने चारों भाइयों का नामकरण विशेष प्रकार से किया महाराज जी ने भारत के प्राचीन महान वैदिक गुरुकुल शिक्षा परंपरा के ऊपर भी प्रकाश डाला और बताया कि भगवान चारों भाइयों सहित गुरुकुल में पढ़ने गए। इसलिए आज भी वह गुरुकुल वैदिक परंपरा प्रासंगिक है क्योंकि आज हम शिक्षित तो बना रहे हैं किंतु समझदार नहीं बना पा रहे हैं। शिक्षा और समझदारी में अंतर है और नए भारत का निर्माण यदि करना है तो शिक्षा के साथ-साथ संस्कार की भी अत्यंत आवश्यकता है। हम आने वाली पीढ़ियों को पैसे कमाने की मशीन बना रहे हैं और ऐसे बालक कभी भी अपने माता पिता परिवार समाज व राष्ट्र का महत्व नहीं समझते है। अतःभारत को पुनः विश्व गुरु के पद पर स्थापित करने के लिए है इन छोटी-छोटी बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।विश्वामित्र यज्ञ रक्षा के प्रसंग में शांतनु जी ने बताया कि भगवान विश्वामित्र जी के साथ जाकर उनके यज्ञ की रक्षा करते हैं। अर्थात जिसको भी अपने जीवन रूपी यज्ञ कि यदि रक्षा करना है उसको राम और लक्ष्मण अवश्य साथ रखने होंगे। राम यानी सत्य लक्ष्मण यानी वैराग्य त्याग समर्पण तो जीवन में सत्य की सुगंध भी आनी चाहिए। अहिल्या प्रसंग को समझाते हुए महाराज जी ने कहा जीवन में जब भी कोई पाप हो जाए पाप को छुपाना नहीं चाहिए।महाराज जी ने बताया कि गंगा गीता गौरी और गायत्री भारत के प्राण है। इनकी रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। मुख्य रूप से सीमा द्विवेदी सदस्य राज्यसभा डा हरेंद्र प्रसाद सिंह दिनेश टंडन प्रदीप जायसवाल डा शुभा सिंह गीता जायसवाल बृजेश सिंह प्रिंसू विमल सिंह जितेंद्र यादव प्रदीप सिंह रिंकु डा अनीता त्रिपाठी सुचिता सिंह शिक्षा निषाद अनुपमा राय करूणा मौर्या राखी सिंह शिक्षक नेता रमेश सिंह और विनोद राय सहित दर्जनों विशिष्ट जन उपस्थित रहे।