बड़ा प्रश्न??ओमप्रकाश राजभर विधानसभा की तरह लोकसभा में भी होंगे प्रभावशाली!


प्रखर डेस्क। अरूण सिंह।ओमप्रकाश राजभर के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव कितना महत्वपूर्ण होगा यह समय के गर्भ में छिपा हुआ है। जिस तरह की राजनीति ओमप्रकाश राजभर करते हैं उसमें जाति स्वाभिमान को आगे रखना उनकी अपनी राजनीतिक मजबूरी है। लगातार विवादित बयानों की वजह से अपने आप को चर्चा में बनाए रखना ओमप्रकाश राजभर का राजनीतिक कौशल है, उनका वही राजनीतिक कौशल इस बार घोसी लोकसभा में उनके पुत्र के खिलाफ खड़ा दिखाई दे रहा है। पूर्वांचल का सवर्ण मतदाता जो भारतीय जनता पार्टी का मूल मतदाता माना जाता है उसकी नाराजगी ओमप्रकाश राजभर से अभी खत्म नहीं हुई है।
सवाल यह है कि क्या विधानसभा चुनाव की तरह ओम प्रकाश राजभर लोकसभा चुनाव में भी प्रभावित होंगे या फिर उनकी प्रासंगिकता विधानसभा तक की सीमित रहती है। पूर्वांचल की लगभग सभी लोकसभा सीटों की स्थिति इस समय त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी दिखाई दे रही है ।

बहुजन समाज पार्टी के टिकट बंटवारे ने गाजीपुर, जौनपुर, आजमगढ़, चंदौली सहित पूर्वांचल की कई सीटों का समीकरण बिगाड़ दिया है। खुद को राजनीतिक का गब्बर शेर कहने वाले ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर जो घोसी लोकसभा से चुनाव लड़ रहे हैं उनकी स्थिति भी स्पष्ट तौर पर उलझती हुई दिखाई दे रही है। अपने राजनितिक कौशल को दिखाते हुए ओम प्रकाश राजभर ने मुख्तार अंसारी को गरीबों का मसीहा बताया है लेकिन मुसलमान मतदाता समाजवादी पार्टी के साथ मजबूती से खड़ा है। गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी से ओमप्रकाश राजभर की नजदीकी यहां जग जाहिर हैं क्योंकि मऊ विधानसभा में राजभर वोटो का संख्या ही मुख्तार अंसारी को विधानसभा में भेजने का काम करता था। जिसके एवज में ओमप्रकाश राजभर को अंसारी परिवार द्वारा पार्टी को मजबूत करने के लिए राजनीतिक चंदा बड़े पैमाने पर मिलता था। जिसके सहारे ही ओमप्रकाश राजभर ने सुभासपा की राजनीतिक जमीन तैयार करने का काम किया है। राजभर समाज के जातीय स्वाभिमान के सहारे ही ओमप्रकाश राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर को लोकसभा भेजने के लिए प्रयासरत हैं। भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की समझ के हिसाब से विधानसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर से गठबंधन नहीं हो पाने के कारण पूर्वांचल में विधानसभा की कई सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था लिहाजा ओमप्रकाश राजभर को दोबारा गठबंधन में शामिल किया गया है। 4 जून को लोकसभा परिणाम ही बताएंगे कि लोकसभा चुनाव में ओमप्रकाश राजभर की राजनितिक जमीन का कितना नफा नुकसान भारतीय जनता पार्टी को हुआ है।