ग़ाज़ीपुर- आवारा पशुओं पर नियंत्रण नहीं, हर दिन लोग हो रहे जख्मी

प्रखर ब्यूरो गाजीपुर। आवारा पशुओं के आतंक से शहरवासी परेशान है, परंतु प्रशासन को इससे कोई लेना देना ही नहीं है। सड़कों व अन्य जगहों पर आवारा पशुओं का हमेशा जमावडा लगा रहता है लेकिन प्रशासन व नगर पालिका के अधिकारियों व कर्मचारियों को यह सब दिखाई नहीं देता। सड़क के पास दर्जनों गायों व आवारा पशुओं के जमावडे के कारण वाहन चालक व निवासी काफी परेशान है। इन आवारा पशुओं के कारण कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी है। लेकिन प्रशासन व नगर पालिका इस ओर आंखे मूंदे बैठा है। प्रशासन तो यह भी दावा करता है कि शहर आवारा पशु मुक्त है लेकिन ऐसा है तो फिर सड़कों पर गायों का झुंड कहां से आता है। नगर प्रशासन का आवारा पशु पकडऩे का अभियान भी अब बंद है। ऐसे में लोगों को इनसे कोई छुटकारा दिलाएगा यह कहा नहीं जा सकता। यह सिर्फ एक जगह की ही समस्या न बनकर पूरे शहर की समस्या बन चुकी है। आए दिन आवारा पशुओं की धमाचौकड़ी की चपेट में आकर लोग अपने हाथ-पैर तोड़वाने को मजबूर हैं। आवारा पशुओं के कारण कभी खुद दुर्घटनाग्रस्त हो जाते तो कभी उनका वाहन क्षतिग्रस्त हो जाता है। शहर में आवारा कुत्ते व मवेशी के चपेट में आने का मामला दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है। सिर्फ कुता के काटने का हर दिन पांच से अधिक मामला अस्पताल में पहुंचता है। सदर अस्पताल में पीड़ित इलाज के लिए पहुंचते हैं। शहर का ऐसा कोई मार्ग या चौराहा नहीं, जहां आवारा पशुओं का विचरण नहीं होता हो। नगर पालिका इससे भली भांति वाकिफ है। मगर इसका समाधान उसके पास नहीं है। स्थिति यह बन गई है कि छोटे बच्चों का तो घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। शहर के मुख्य मार्गो पर झुंड बनाकर घुमते आवारा पशुओं के कारण राहगीरों व वाहन चालकों को हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। शहर की सड़कों पर आवागमन करने वाले वाहन चालकों के अचानक पशु सामने आने से वाहनों को टक्कर मार देने से कई वाहन चालक भी चोटिल हो चुके हैं। नगर परिषद प्रशासन ने इप पशुओं की धरपकड़ का कोई प्रयास नहीं किया। शहर में मुख्य मार्गो के अलावा घनी आबादी वाले कॉलोनियों व गली मोहल्ले में खुला विचरण करते इन आवारा पशुओं को देखा जा सकता है। नपा के कर्मी भी आवारा पशुओं को देख अपना मार्ग बदल गंतव्य की ओर प्रस्थान कर जाते हैं।