ग़ाज़ीपुर- 20 से 25 मार्च तक चलेगा पल्स पोलियो अभियान

– 5.49 लाख बच्चों को खुराक से आच्छादित करने का रखा गया है लक्ष्य

प्रखर ब्यूरो ग़ाज़ीपुर। पल्स पोलियो अभियान जो रविवार 20 मार्च से शुरू होकर 25 मार्च तक पूरे जनपद में एक वृहद अभियान के रूप में चलाया जाएगा। इस अभियान का शुभारंभ नगरीय स्वास्थ्य केंद्र हाथीखाना पर प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. के.के. वर्मा के द्वारा 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों को जिंदगी के दो बूद की खुराक देकर शुभारंभ किया गया। 25 मार्च तक चलने वाले इस अभियान के लिए जनपद में 5.49 लाख बच्चों को टारगेट किया गया है। जिन्हें पल्स पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी।
प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. के.के. वर्मा ने बताया कि यह कार्यक्रम 0 से 5 साल तक के बच्चों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस खुराक के पीने से बच्चों को पोलियो व अन्य बीमारियों से आसानी से बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस बार इजराइल में एक केस मिलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन एक बार फिर से पूरे जोशो खरोश के साथ पल्स पोलियो कार्यक्रम के माध्यम से पोलियो को जड़ से खत्म करने का ठाना है। आगे उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के चलते लगातार दो साल से पल्स पोलियो कार्यक्रम स्थगित रहा। ऐसे में शासन के निर्णय के अनुसार रविवार से जनपद में टारगेट 5.49 लाख बच्चों को पल्स पोलियो के तहत जिंदगी के दो बूद देने का कार्यक्रम शुरू किया गया है। जो आज जनपद के 2009 बूथ के माध्यम से कार्यक्रम चलाया जाएगा। साथ ही सोमवार से शुक्रवार तक घर घर जाकर बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी। वही छूटे हुए बच्चों को 28 मार्च को स्पेशल कार्यक्रम के तहत पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी। डब्ल्यूएचओ के एसएमओ विनय शंकर दूबे ने बताया पोलियो या पोलियोमेलाइटिस एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है जो वायरस से होती है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। साथ ही यह वायरस जिस भी व्यक्ति में प्रवेश करता है उसके मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है, जिसकी वजह से लकवा भी हो सकता है। उन्होने बताया 2014 से अभी तक भारत में पोलियो के एक भी रोगी नहीं देखे गए लेकिन सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष कम से कम 4 बार पोलियो अभियान चलाया जाता है। यह दवा पाँच वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों के लिये आवश्यक है। यह दवा जन्म के समय, छठे, दसवें व चौदहवें सप्ता्ह में दी जाती है इसके बाद 16 से 24 माह की आयु में बूस्टर की खुराक दी जाती है। पाँच वर्ष तक की आयु के बच्चों को बार-बार खुराक पिलाने से पूरे क्षेत्र में इस बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ती है, जिससे पोलियो के विषाणु को पनपने से रोका जा सकता है। इस दौरान जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. उमेश कुमार ने बताया कि इस चरण के लिए जन्म से पाँच वर्ष तक के 5.49 लाख सम्भावित बच्चों को पोलियो रोधी दवा पिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस चरण के लिए जिले भर में 2009 बूथ बनाए गए हैं। साथ ही 64 मोबाइल टीम भी बनाई गई है जिसके माध्यम से बूथ स्तर पर पोलियो अभियान चलाया जाएगा। इसके साथ ही अभियान के 948 टीमें बनाए गए हैं जो 21 मार्च से तक घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने का काम करेंगे। साथ ही बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर पोलियो की खुराक पिलाने के लिए 85 टीम ने बनाई गई हैं। पल्स पोलियो के कार्यक्रम को सकुशल निपटाने के लिए एएनएम, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ती इसमें अपना सहयोग करेंगी।
आज के इस कार्यक्रम में डब्ल्यूएचओ के एसएमओ विनय शंकर दुबे, डीपीएम प्रभुनाथ, डॉ. ईशानी वर्धन, अर्बन आशा श्रीमती निर्मला देवी, प्रवीण उपाध्याय और अर्बन क्वाडीनेटर अशोक कुमार, अभय कुमार, वरिष्ठ सहायक अमित राय के साथ व्यापार मंडल के विजय शंकर वर्मा और सरदार दर्शन सिंह भी मौजूद रहे।