चकबंदी अधिकारियों के भ्रष्टाचार से त्रस्त है बीरमपुर की जनता, डीएम से शिकायत के बाद भी कार्यवाही नहीं!


प्रखर केराकत जौनपुर। योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती है, लेकिन उनके ही अधिकारी भ्रष्टाचार करने में तनिक भी गुरेज नहीं करते। बता दें कि योगी सरकार दूसरी बार उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई लेकिन अधिकारियों का रवैया जैसे पहले था वैसे आज भी है। मामला जौनपुर जिले के केराकत तहसील अंतर्गत आने वाले ब्लॉक मुफ्तीगंज के तहत गांव बीरमपुर का है। जहां पर पिछले कई वर्षों से चकबंदी प्रक्रियागत है। लेकिन चकबंदी के अधिकारियों के भ्रष्टाचार व अनियमितता से यहां की जनता पूरी तरह से त्रस्त हो चुकी है। पैसा लेकर अनाप-शनाप लोगों को उड़ान चक या फिर जिसके घर के पास चक नहीं है उसे भी वहां पर जमीन दे दी गई। जिसकी शिकायत बीरमपुर ग्राम सभा के दर्जनों ग्रामवासियों ने जिलाधिकारी से की। बतादे कि शिकायत जिलाधिकारी, मुख्यमंत्री अन्य संबंधित अधिकारियों से की गई, लेकिन किसी के कान पर जूं तक रेंगता नहीं दिख रहा। उक्त ग्राम सभा के निवासियों का कहना है कि बिना काश्तकारों को बिना कोई नोटिस दिए गए, कई आदेश पारित कर उस पर कार्यवाही कर दी गई है। हम लोग अगर अधिकारियों से कोई सवाल करते हैं तो स्पष्ट जवाब नहीं दिया जाता और टालमटोल कर बात को काट दिया जाता है। साथ ही ग्रामवासियों का आरोप है कि अधिकारियों द्वारा ग्राम प्रधान की मिलीभगत से गांव के संपन्न, धनाढ्य व दबंग किस्म के लोगों को अवैध तरीके से 2 हेक्टेयर आबादी की जमीन उनके घर के अगल-बगल आरक्षित कर दी गई। इस पर शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। साथ ही सामान्य आबादी के साथ-साथ कुछ काश्तकारों के व्यक्तिगत आबादी, व्यक्तिगत खलियान व व्यक्तिगत अस्पताल आदि के लिए भूमि आरक्षित कर दिया गया। इसके अलावा ग्राम वासियों ने आरोप लगाया है कि करीब 500 खाताधारको के विभाजन का निपटारा बिना कागजी कोरम पूरा किये, गाटों का निस्तारण किए बिना सहायक चकबंदी अधिकारी व अन्य अधिकारियों के द्वारा चक बैठा दिया गया। साथ ही ग्राम सभा के एक जमीन के जानकार निवासी का कहना है कि धनाढ्य व दबंग किस्म के काश्तकारों को उतनी भूमि दी गई है, जो कि हम ग्राम वासियों को 5% से 15% की कटौती की भूमि है जो कि चकबंदी कानूनों के मनसा के विरुद्ध और चकबंदी आयुक्त के निर्देश व शासनादेश के पूर्ण रूप से विरुद्ध है। हम लोग सरकार से भ्रष्ट अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं। अन्यथा बड़े आंदोलन करने पर हम लोग मजबूर होंगे, यह ग्राम सभा के काश्तकारों का कहना है। देखना है सरकार चकबंदी के इन भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही करती है या फिर मामला वैसे के वैसे तो ठंडे बस्ते में चला जाता है।