एशियन गेम्स में भदोही के लाल ने रचा इतिहास, पहला शतक लगाकर नेपाल को हराया

प्रखर भदोही। भदोही के लाल ने एशियन गेम्स के पहले ही मैच में शतक जड़ रचा इतिहास, ऐसा करने वाले पहले खिलाड़ी बन गए है। यशस्वी जायसवाल मूल रूप से भदोही जिले के सुरियांवा निवासी हैं। नेपाल के खिलाफ तूफानी बल्लेबाजी को देख जायसवाल के परिजनों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। तो वहीं पूरे गांव में लोग हर्षित नजर आए। जानकारी के अनुसार यशस्वी जायसवाल ने एशियन गेम्स के पहले ही मैच में नेपाल के खिलाफ तूफानी शतक जड़कर इतिहास रचा। पहली बार एशियन गेम्स में शामिल के क्रिकेट के पहले भारतीय शतकवीर बनने का गौरव हासिल किया। इसके साथ ही वह टी-20 इंटरनेशनल में भारत के लिए शतक जड़ने वाले सबसे युवा बल्लेबाज बन गए हैं। यशस्वी से पहले यह रिकॉर्ड शुभमन गिल के नाम था। यशस्वी मूल रूप से भदोही जिले के सुरियांवा निवासी हैं। तूफानी बल्लेबाजी को देख जायसवाल के परिजनों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। तो वहीं पूरे गांव में लोग हर्षित नजर आए। घर में बड़ी मां मनोरम, लक्ष्मीकांत, माया देवी, रीता देवी के साथ भाई डॉ. विकास जायसवाल, विशाल, शिवम व अन्य लोगों ने एक-दूसरे का मुंह मीठा कराकर बधाई दी। यशस्वी के पिता भूपेंद्र जायसवाल उर्फ गुड्डन ने बताया कि यहां तक का सफर तय करने में उनके पुत्र को काफी स्ट्रगल करना पड़ा। आज उसकी सफलता ने पूरे परिवार को गदगद कर दिया। मंगलवार सुबह ही परिवार के लोग टेलीविजन के सामने बैठे मैच देख रहे थे। जैसे-जैसे उनकी पारी आगे बढ़ती रही पूरा परिवार खुशी से झूमता चला गया। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया ने निर्धारित 20 ओवर में चार विकेट के नुकसान पर 202 रन बनाए। यशस्वी जायसवाल के शतक के अलावा कप्तान ऋतुराज गायकवाड़ और शिवम दुबे ने 25-25 रनों की पारी खेली। वहीं रिंकू सिंह ने 15 गेंदों पर ताबड़तोड़ 37 रनों की नाबाद पारी खेली। इसके जवाब में नेपाल की टीम नौ विकेट खोकर 179 रन ही बना सकी। एशियन गेम्स के पहले मैच में नेपाल के खिलाफ यशस्वी जायसवाल ने 49 गेंदों में 100 रन की पारी खेली। उन्होंने 8 चौकों और सात गगनचुंबी छक्के लगाए। यशस्वी की ये पारी इसलिए खास है क्योंकि जिस विकेट पर उन्होंने शतक जड़ा, वो बल्लेबाजी के लिए आसान नहीं था। दूसरे छोर से विकेट गिर रहे थे लेकिन एक छोर पर यशस्वी न सिर्फ डटे रहे बल्कि ताबड़तोड़ बैटिंग जारी रखी। इसी का नतीजा रहा कि उन्होंने 48 गेंद में ही शतक पूरा कर लिया। इसके साथ ही यशस्वी जायसवाल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि क्यों उन्हें भारतीय क्रिकेट का नया सितारा माना जा रहा है। टेस्ट क्रिकेट में धमाकेदार डेब्यू के बाद से ही यशस्वी जायसवाल टी-20 इंटरनेशनल में भी अपने बल्ले से कोहराम मचा रहे हैं। अपनी हस्तनिर्मित खूबसूरत कालीन के लिए दुनियाभर में मशहूर भदोही की लोकप्रियता में उसके अपनी मेहनत और शानदार क्रिकेट से यशस्वी जायसवाल लगातार इजाफा कर रहे हैं। सुरियावां नगर के छोटे व्यवसायी भूपेंद्र जायसवाल और मां कंचन के परिवार में जन्म लेने वाले दो पुत्रों में शामिल यशस्वी बचपन से क्रिकेटर बनना चाहते थे। क्रिकेट का जुनून इस कदर हावी था कि मात्र 11 साल की उम्र में ही जायसवाल मुंबई चले गए थे। वहां उन्होंने मुफलिसी में दिन गुजारे लेकिन अपने इरादे से डगमग नहीं हुए। वर्ष 2012 में उन्होंने मुंबई आजाद मैदान में मुस्लिम यूनाइटेड क्लब की शतक मारने की शर्त जीतकर उन्होंने क्रिकेट की पहली सीढ़ी चढ़ी तो पीछे पलटकर नहीं देखा।