चुनावी बांड मामला, कंपनी ने 3 वर्षो में कमाए 215 करोड़ और दान कर दिया 1368 करोड़!

लागतार 4 वर्षों से एयरटेल घाटे में लेकिन दान कर दिया 198 करोड़

-जिंदल स्टील एंड पावर और फार्मा प्रमुख डॉक्टर रेड्डी और टोरेंट फार्मास्युटिकल्स जैसी कंपनियां भी है लिस्ट में शामिल

प्रखर डेस्क। कुछ वर्षों पूर्व एक फिल्म आई थी जिसका नाम था “आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया” आप सभी ने तो जरूर देखा होगा। उसे फिल्म का थीम ही था कि जितना कमाई थी उसके कई गुना फिल्म में खर्च दिखाया गया। ऐसा ही एक मामला खुलकर सामने आया है। इन दिनों चुनावी बांड खरीदने का मामला लगातार सुर्खियों में है। इसी को लेकर एक कंपनी ने पिछले 3 वर्षों में 215 करोड़ का मुनाफा कमाया, लेकिन इन्हीं 3 वर्षों के बीच चुनावी बांड के रूप में 1368 करोड़ का दान कर दिया। अब चुनावी बांड मामले की जब परत दर परत खुलने लगी तो तमाम ऐसी कंपनियां सामने आने लगी जिसकी आमदनी अठन्नी थी, लेकिन उन्होंने खर्चा रुपैया नहीं हजारों में कर दिया। बतादे कि फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने 12 अप्रैल 2019 और 24 जनवरी 2024 के बीच चुनावी बांड के जरिए 1368 करोड रुपए का चंदा राजनीतिक दलों को दिया है। यह राशि कंपनी के उन तीन वर्षों में 215 करोड़ के शुद्ध लाभ की तुलना में 6 गुना अधिक है। 5 वर्ष की अवधि में चुनावी बांड के माध्यम से 50 करोड रुपए से अधिक का दान देने वाली कॉर्पोरेट संस्थाओं की सूची में ऐसी कुछ और कंपनियां भी शामिल हैं। जिन्होंने मुनाफा से अधिक दान दे दिया है। एक ऐसी भी कंपनी है जिसने अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा दान कर दिया है। बताते चले कि आईएफबी एग्रो इंडस्ट्रीज को 2019-20 से 2022-23 तक 175 करोड रुपए का संयुक्त रूप शुद्ध लाभ हुआ था। इसने 92 करोड रुपए का दान किया। इसी तरह हल्दिया एनर्जी ने 3 वर्षों में 1013 करोड़ का शुद्ध लाभ कमाया और इस बीच 377 करोड रुपए दान कर दिया। जो कंपनी की कुल कमाई का 37% होता है। और बड़ी कंपनियों में वेंदा, जिंदल स्टील एंड पावर, फार्मा प्रमुख डॉक्टर रेड्डी और टोरेंट फार्मास्युटिकल्स जैसी नामी कंपनियां भी शामिल है। जिन्होंने 50 करोड रुपए या उससे अधिक का दान दिया है। 4 वर्षों में उनके शुद्ध लाभ का दान एक प्रतिशत से भी कम है। कुछ कंपनियों ने तो 2-4% दान दिया है। भारत की सबसे सफल दूर संचार कंपनी में से एक भारतीय एयरटेल पिछले 4 वर्षों में घाटे में रही है। उसने इस दौरान 198 करोड रुपए का दान दिया है। बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार इन कंपनियों ने घाटे में रहते हुए या फिर कम मुनाफा कमाते हुए, अधिक दान क्यों दिया? इस पर भी बड़ा सवालिया निशान खड़ा होता है?