भाजपा के 400 की डगर में पूर्वांचल की कई लोकसभा सीटें बन रही चुनौती


पूर्वांचल की कई लोकसभा सीटों की घोषणा अभी बाकी

प्रखर डेस्क। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए पूर्वांचल की कई लोकसभा सीटें चुनौती पूर्ण रही। जहां पर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी। बता दें कि यहां पर भाजपा का सियासी चक्रव्यूह काम नहीं आया और विपक्ष ने इन लोकसभा सीटों पर कब्जा जमा लिया। हम बात कर रहे हैं पूर्वांचल की आजमगढ़, लालगंज, घोसी, गाजीपुर और जौनपुर लोकसभा की! जहां पर 2019 की लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था और यह पांच सीटें आज भी चुनौती बनी हुई हैं। इसके अलावा पूर्वांचल की और भी सीटें हैं जो भाजपा के लिए चुनौती बनी है। बता दें कि भाजपा ने अभी तक 402 लोकसभा सीटों पर पूरे देश में उम्मीदवार घोषित किए हैं। वहीं उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां से कुल 64 लोकसभा सीटों पर घोषणा हो चुकी है, लेकिन पूर्वांचल की कई पेंचीदा सीटों की घोषणा अभी तक नहीं हुई है। इन सीटों पर भाजपा की कड़ी निगाह बनी हुई है। इसके अलावा पूर्वांचल की मछलीशहर लोकसभा सीट भी भाजपा ने गिरते पड़ते जीत दर्ज की थी। बता दें की मछलीशहर लोकसभा का टिकट बसपा से नए-नए आए बीपी सरोज को दिया गया। जिनको कड़ी टक्कर बसपा के प्रत्याशी टी राम ने दिया था और बीपी सरोज मात्र 181 मतों से ही जीत पाए थे। लेकिन अब टी राम बीजेपी की नैया पर सवार हैं और 2022 की विधानसभा चुनाव में अजगरा विधानसभा से जीतकर वर्तमान में विधायक भी हैं। कयास लगाये जा रहे हैं कि मछलीशहर लोकसभा सीट से टी राम को बीजेपी का टिकट दिया जाएगा। इसके बाद मछलीशहर का चुनाव और भी दिलचस्प हो सकता है। वही आजमगढ़ लोकसभा सीट से वर्ष 2019 के आम चुनाव में सपा के मुखिया अखिलेश यादव ढाई लाख मतों से चुनाव जीता था। लेकिन 2022 के विधानसभा में विपक्ष में बैठने के बाद उन्होंने सीट से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद हुए उपचुनाव में भोजपुरी गायक व अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत दर्ज की थी। इसके पहले आजमगढ़ लोकसभा से वर्ष 1989 से 2014 के बीच भाजपा को सिर्फ एक बार 2009 में रमाकांत ने जीत दिलाई थी। लालगंज की बात करें तो सुरक्षित लोकसभा से 2019 का आम चुनाव बहुजन समाज पार्टी की संगीता आजाद ने जीता था। संगीता आजाद अब भाजपा की पतवार लेकर आगे बढ़ रही हैं। इस सीट पर 1989 से 2014 के बीच हुए आम चुनाव में भाजपा को सिर्फ एक बार 2014 में नीलम सोनकर ने जीत दिलाई थी। मऊ जिले की घोसी लोकसभा से 2019 का चुनाव बहुजन समाज पार्टी के अतुल राय ने फरार रहते हुए जीत लिया था। घोसी सीट की बात करें तो 1989 से 2014 के बीच हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ एक बार 2014 में हरिनारायण राजभर ने जीत दिलाई थी। अब गाजीपुर लोकसभा की बात करें तो 2019 के आम चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के अफजाल अंसारी ने तत्कालीन रेल राज्य मंत्री और भाजपा के बड़े नेता मनोज सिन्हा को हराया था। यहां पर 1989 से 2014 के बीच गाजीपुर लोकसभा सीट से भाजपा के मनोज सिन्हा तीन बार जीत दर्ज कर चुके हैं। अब जौनपुर लोकसभा सीट की बात किया जाए तो 2019 के आम चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के श्याम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी। इसके पूर्व 1989 से 2014 के बीच और हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने चार बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। अब अगर चंदौली लोकसभा सीट की बात करें तो 2019 के आम चुनाव में भाजपा के केन्द्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडे महज 13959 मतों से कठिन परिश्रम के बाद जीते थे। वहीं इसके पहले 2014 में उन्होंने डेढ़ लाख से ज्यादा मतों के अंतर से जीत दर्ज किया था। ऐसे में इस बार भी चंदौली लोकसभा का चुनाव दिलचस्प होगा। बता दें कि पूर्वांचल की करीब आधा दर्जन से अधिक लोकसभा सीटों पर भाजपा को कड़ी मशक्कत करनी होगी। अब अगर 2022 के विधानसभा की बात करें तो इन लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने योगी सरकार के नेतृत्व में लड़े गए चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। गाजीपुर व आजमगढ़ की सभी विधानसभा सीटें बीजेपी हार गई थी। वहीं जौनपुर में भी अधिकतर सीटों पर बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी थी ।