पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष का नाती व उपराष्ट्रपति का भतीजा मुख्तार कैसे बना इतना बड़ा माफिया…जाने प्रखर की जुबानी

करीब 18 साल जेल में रहे मुख्तार

प्रखर डेस्क। कहा जाता है कि एक ना एक दिन वक्त जरूर बदलता है। ये वक्त ही है कि किसी को अर्श तो किसी को फर्श पर लाकर पटकता है। हम बात कर रहे हैं बाहुबली मुख्तार अंसारी की। पूर्वांचल में कभी जिस मुख्तार अंसारी के इशारे पर सरकारें अपना निर्णय बदल लेती थीं, आज उसी मुख्तार का बांदा में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। परिवार को इस बात की जानकारी दे दी गई और देर रात परिवार बांदा पहुंच गया, फिर पांच डॉक्टरों के पोस्टमार्टम के बाद मुख्तार का शव परिवार सौंप दिया जाएगा। बता दे कि मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान ने 1948 के जंग में पाकिस्तान को छक्के छुड़ाते हुए शहीद हुए थे। इसके पूर्व मुख्तार अंसारी के नाना कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे थे। साथ ही मुख्तार अंसारी के चाचा हामिद अंसारी देश के उपराष्ट्रपति भी रह चुके हैं। आइए जानते हैं कैसे एक उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी का भतीजा और स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी का पोता और ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान का नाती इतना बड़ा गैंगस्टर कैसे बना..
अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को पहली बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इससे पहले उसे अधिकतम 10 साल की सजा मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पंजाब की रोपड़ जेल से वापस यूपी आने के बाद मुख्तार पर कानून का शिकंजा कसता चला गया। उसे डेढ़ साल के भीतर आठ बार अलग-अलग अदालतों ने सजा सुनाई, जिससे दो बार आजीवन कारावास की सजा भी शामिल थी। इससे उसका जिंदा जेल से बाहर आना नामुमकिन हो गया था। मुख्तार की बेबसी के पीछे की वजह पारिवारिक सदस्यों का जेल में या फिर अलग-अलग मामलों में फरार होना है। मऊ से विधायक बेटा अब्बास अंसारी चित्रकूट जेल में है। उसकी पत्नी निखत अंसारी भी जेल में है। पत्नी आफ्शा अंसारी फरार चल रही है। उस पर इनाम घोषित किया जा चुका है। छोटा बेटा उमर अंसारी जमानत पर है। गाजीपुर जिले के यूसुफपुर निवासी माफिया मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में पहली बार नाम वर्ष 1988 में हरिहरपुर के सच्चिदानंद राय हत्याकांड से सामने आया था। कुछ ही वर्षों में ही पूर्वांचल की तमाम हत्याओं और ठेकेदारी में मुख्तार का नाम खुलेआम लिया जाने लगा। सत्ता और प्रशासन का संरक्षण मिलने से मुहम्मदाबाद से निकलकर मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया में बड़ा नाम हो गया। करीब 40 साल पहले राजनीति में कदम रखने वाला मुख्तार देखते ही देखते प्रभावशाली नेता बन गया। विधानसभा में पूर्वांचल की मऊ सीट से लगातार लोगों की पहली पसंद बनकर पांच बार विधायक बना। मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के युसुफपुर मोहमदाबाद में हुआ था। मुख्तार अंसारी मूल रूप से मखनू सिंह गिरोह का सदस्य था, जो 1980 के दशक में काफी सक्रिय था। अंसारी का यह गिरोह कोयला खनन, रेलवे निर्माण, स्क्रैप निपटान, सार्वजनिक कार्यों और शराब व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में लगा हुआ था। अपहरण, हत्या व लूट सहित अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता था। जबरन वसूली का गिरोह चलाता था। मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में सक्रियता ज्यादा थी। 20 से भी कम की उम्र में मखनू सिंह गिरोह में शामिल होकर मुख्तार अपराध की सीढ़ियां चढ़ता रहा। जमीन पर कब्जा, अवैध निर्माण, हत्या, लूट, सहित अपराध की दुनिया के कुछ ही ऐसे काम होंगे, जिनसे मुख्तार का नाम न जुड़ा हो। माफिया मुख्तार अंसारी करीब 18 साल तक जेल के सलाखों के पीछे ही रहा। मऊ दंगे के बाद मुख्तार अंसारी ने 25 अक्तूबर 2005 को गाजीपुर में आत्म समर्पण किया था और वहीं की जिला जेल में दाखिल हुआ था। मुहम्मदाबाद के फाटक निवासी मुफ्तार अंसारी चार दशक तक जरायम की दुनिया में रहा। इस दौरान कई चर्चित आपराधिक घटनाओं में मुख्तार अंसारी का नाम आया। पूर्वांचल में कभी जिस मुख्तार अंसारी के इशारे पर सरकारें अपना निर्णय बदल लेती थी, आज उसी मुख्तार का अंत हो गया।