ग़ाज़ीपुर- प्रेम होठ का नहीं हृदय का विषय है- फलाहारी बाबा

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प्रखर ब्यूरो ग़ाज़ीपुर। अगर भगवान के इस रास में आप अकेले दिमाग का इस्तेमाल करेंगे तो आपको इस रास में भगवान पर संदेह हो जाएगा और अगर आपको भगवान पर संदेह हो गया तो आपको नरकगामी बनना पड़ेगा। उक्त श्रीवचन सरस संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के दौरान अयोध्या वासी महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 श्री शिवरामदास जी फलाहारी बाबा ने मुहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र के बगेन्द में श्रद्धालुओं के बीच व्यक्त किया।
फलाहारी जी महाराज ने सरस संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा में ज्ञान और वैराग्य की कथा को आगे बढाते हुवे कहा कि भगवान की ये रासलीला बड़ी उत्तम है, श्रेष्ठ है। बडे बड़े ऋषि भी इस रास को सुनकर ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं। पूज्य फलाहारी जी महाराज ने कथा का वृतात सुनाते हुए कहा कि शुकदेव जी महाराज परीक्षित से कहते हैं राजन जो इस कथा को सुनता है, उसे भगवान के रसमय स्वरूप का दर्शन होते हैं। उसके अंदर से काम हटकर श्याम के प्रति प्रेम जाग्रत होता है। जब भगवान प्रकट हुए तो गोपियों ने भगवान से तीन प्रकार के प्राणियों के विषय में पूछा। एक व्यक्ति वो है जो प्रेम करने वाले से प्रेम करता है। दूसरा व्यक्ति वो है जो सबसे प्रेम करता है, चाहे उससे कोई करे या न करे। तीसरे प्रकार का प्राणी प्रेम करने वाले से कोई संबंध नहीं रखता और न करने वाले से तो कोई संबंध है ही नहीं। आप इन तीनों में कौन से व्यक्ति की श्रेणी में आते हो? भगवान ने कहा कि गोपियों जो प्रेम करने वाले के लिए प्रेम करता है, वहा प्रेम नही हैं वहा स्वार्थ झलकता है। केवल व्यापार हैं वहा। आपने किसी को प्रेम किया और आपने उसे प्रेम किया, ये बस स्वार्थ हैं। दूसरे प्रकार के प्राणियों के बारे में आपने पूछा वो हैं माता-पिता, गुरुजन। संतान में भले ही अपने माता-पिता के, गुरुदेव के प्रति प्रेम हो या न हो, लेकिन माता-पिता और गुरु के मन में पुत्र के प्रति हमेशा कल्याण की भावना बनी रहती है। लेकिन तीसरे प्रकार के व्यक्ति के बारे में आपने कहा कि ये किसी से प्रेम नहीं करते तो इनके चार लक्षण होते हैं- आत्माराम- जो बस अपनी आत्मा में ही रमन करता हैं। संसार में जब-जब प्रेम की गाथा गाई जाएगी वहा पर तुम्हें अवश्य याद किया जायेगा। पहले तो भगवान ने रास किया था, लेकिन अब महारास में प्रवेश करने जा रहे हैं। तीन तरह से भगवान श्रीकृष्ण ने रास किया है। एक गोपी और एक कृष्ण, दो गोपी और एक कृष्ण, अनेक गोपी और एक कृष्ण। इस महारास में कामदेव ने गोपियों को माध्यम बनाकर पांच तीर छोड़े थे। श्रीमद भागवत कथा को आगे बढ़ाते हुए फलाहारी जी महाराज ने कहा कि हमारी इच्छाएं ही सारे पापों की जड़ हैं। इसलिए इन इच्छाओं को ही छोड़ दें। दुनिया की सारी बाधाएं दूर हो जाएंगी। हर भक्त के मन में यह भाव होना चाहिए कि हमें श्रीकृष्ण मिले, भले ही मेरे जीवन के अंतिम सांस से पहले ही क्यों ना मिले। उन्होंने कहा कि सद्कर्मों से आत्मा खुश होती है। इसका प्रमाण देखना हो तो कभी किसी का छीन करके खाओ, देखना आत्मा खुश नहीं होगी। फिर किसी जरूरतमंद को कुछ खिलाकर देखना कि आत्मा कितनी खुश होती है।
प्रेम होंठ का नहीं है हृदय का विषय है- महारास का वर्णन करते हुए फलाहारी बाबा ने कहा कि संयोग के अपेक्षा वियोग में प्रेमास्पद के सानिध्य की विशेष अनुभूति होती है। वियोग और दुख सुरक्षा की व्यवस्था है। सुख रुपी गुलाब के साथ दुख रूपी कांटे भी लगे रहते हैं यही प्रकृति की व्यवस्था है गुलाब के संरक्षण की यह सुविधा है किंतु दृष्टि अपनी-अपनी है कई लोग कहते हैं कि देखो गुलाब इतना सुंदर है पर उसके साथ कांटे लगे हुए हैं गुलाब में कांटा देखने वाला व्यक्ति निराशावादी होता है और कांटो में गुलाब देखने वाला व्यक्ति आशावादी होता है, उत्साही होता है, घटना एक ही होती है परंतु नजरिया अलग अलग होता है। शास्त्र संत और भगवंत के सानिध्य में आने पर ही दृष्टि रूपांतरित होती है। भागवत का महारास प्रसंग जीव और ब्रह्म का मिलन प्रसंग है। जीव का जन्म और मृत्यु कर्म पर आधारित होता है। अंत में जैसी मति होती है वैसी ही गति भी होती है कान से अपशब्द को दूर रखना तो त्वचा से स्पर्श को दूर रखना आंख से आशक्ति रुप को दूर रखना वाणी से मिथ्याचार को दूर रखना ही वास्तव में उपवास है। आगे फलाहारी बाबा ने कहा की जो अपने इंद्रियों से भक्ति रस का पान करता है वही कृष्ण की प्राप्ति करता है। जागृति जिसकी संशय रहित हो जाए और निद्रा जिसकी स्वप्न रहित हो जाए समझो उसकी भूमिका ऊपर उठ जाती है। आहार भोजन कम होने से निद्रा कम होती है। इस दौरान रिंकू रसिया के भक्ति गीतों से भी सराबोर होते रहे श्रद्धालु। वाराणसी से पधारे सुप्रसिद्ध गायक रिंकू रसिया के भजन गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो.. प्रेम से बोलो राधे-राधे और जोर से बोलो राधे-राधे.. ऐसे ही भजन और सुभाषितों से कथा पंडाल परिसर आजकल गूंज रहा है।प्रमोद कुमार एवं गोल्डी तिवारी के द्वारा कथा को काफी संगीतमय बना दिया जा रहा है।व्यास पूजन का कार्य आचार्य मदन मोहन द्विवेदी एवं मोहित कुमार मिश्रा के द्वारा कराया गया।
आज कथा में डाक्टर श्रीकांत राय, प्रधान मनीष राय, आशिष राय, रामचन्द्र सिंह, यशवंत सिंह, राजेश राय पिंटू, गोपाल यादव, अवनिश राय, अजय यादव, डा. बलीन्द्र, राम इकबाल यादव, अनूप तिवारी, राजेश राम समेत ढेर सारे लोग उपस्थित रहे।