भारत को पुन: विश्व गुरु बनाने के लिए हिन्दुत्व और प्रखर राष्ट्रवाद की ओर लौटना होगा- प्रान्त प्रचारक रमेश जी

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– राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मनाया रक्षाबंधन उत्सव

– परिवार सहित पहुची बहनो ने भाईयो की कलाई मे रक्षासूत्र बांधकर लिया राष्ट्ररक्षा का संकल्प

प्रखर मिर्जापुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मिर्जापुर के स्वयंसेवक एवं संघ विचार परिवार के कार्यकर्ताओं द्वारा गुरुवार को नगर के राजस्थान इंटर कालेज के सभागार में रक्षाबंधन उत्सव बड़े ही हर्ष एवं उल्लासपूर्वक मनाया गया। परम पवित्र भगवा ध्वज को रक्षासूत्र बांधकर राष्ट्र को परं वैभव की कामना के साथ परिवार सहित पहुची बहनो ने भाईयो की कलाई मे रक्षासूत्र बांधकर राष्ट्ररक्षा का संकल्प लिया। इस दौरान प्रान्त प्रचारक श्री रमेश जी का पाथेय प्राप्त हुआ। इस अवसर पर अपने उद्बोधन में प्रान्त प्रचारक श्री रमेश जी ने कहाकि जब तक समाज में एकता समरसता समानता व् सद्भाव था तब भारत विश्व गुरु था लेकिन समाज में क्लेश-कलह द्वन्द-द्वेष सामाजिक विषमता जैसी भावनाओं के आने के बाद भारत विश्व गुरु नहीं रह गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्सवों के माध्यम से समाज में समरसता का भाव लाने और समाज से कुप्रथाओं को विगत 98 वर्ष से समाप्त कर रहा है। समाज की समस्याओं का समाधान हिंदुत्व और भारत को पुन: विश्व गुरु बनाने के लिए हिन्दुत्व और प्रखर राष्ट्रीयता की ओर लौटना होगा। उन्होने कहाकि मातृशक्तियो की तप के कारण ही भारत व् भारत की प्राचीन संस्कृति बची है, लेकिन मार्क्सवादी इतिहासकारो ने इतिहास का मजाक बनाते हुए हमारी मातृशक्ति वीरांगनाओ जिन्होने देश रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया, उनको महत्व नही दिया। महाराज उदय सिंह के पुत्र शक्ति सिंह की बेटी किरण देवी ने हिन्दू बेटियों बहुओं पर कुदृष्टि रखने वाले अकबर को उसी के मीना बाजार में जाकर उसके सीने पर लात रखकर गर्दन पर तलवार की नोक लगाने का काम किया था लेकिन मार्क्सवाद प्रेरित इतिहासकारों ने इसका कोई जिक्र नहीं किया। मुगलों के कुदृष्टि के कारण ही हमारे समाज में पर्दा प्रथा बाल विवाह के साथ-साथ रात्रि विवाह का प्रचलन शुरू हुआ। प्रांत प्रचारक ने कहा कि जब जब देश की संस्कृति और परंपरा पर आघात हुआ तो मातृ-शक्तियों ने पूरी ताक़त के साथ इसका प्रतिकार किया।अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में नारी का कोई स्थान नहीं उन्हें वोट देने का भी अधिकार नहीं दिया था,लेकिन भारतीय संस्कृति में मातृ देवो भव का भाव है और हम गर्व से कहते हैं कि माता भूमि: पुत्रों अहम पृथीव्या: । यहाँ नारी अबला नही सबला है और श्रद्धा ही नही बल्कि शक्ति का प्रतीक है। मातृशक्ति कभी भी अपने लिए नही बल्कि वह पुत्र-पति परिवार व सम्पूर्ण समाज के लिए, व्रत उपवास करती हैं ओ हमेशा संस्कार के लिए समर्पित रही है और है। सती अनुसूइया जैसी योगिनी नही हुई, 17 लाख साल पहले माता अंजनी के बताए लाल फल रूप मे हनुमान ने सूर्य को लील लिया। पन्ना धाय को पता था की हश्र क्या होगा, फिर भी प्रिय पुत्र की बलिदान देकर उन्होंने मेवाड़ की रक्षा की। बताया कि बामनावतार विष्णु भगवान ने महाराजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर ही दान का संकल्प कराया और भगवान विष्णु के बामनावतार को तीन पग दान (सर्वस्व अर्पण) से प्रसन्न कर बली हमेशा के लिए पाताल लोक ले गया था। काफी दिन न लौटने पर श्रावण पूर्णिमा के दिन ही माता लक्ष्मी वहा मातृशक्ति रूप मे पहुची और महाराज बलि को रक्षासूत्र बाधा। बलि ने पूछा क्या चाहिए तो लक्ष्मी जी ने कहा हमे हमारे स्वामी चाहिए और तथास्तु कहते ही अपने रूप मे आ गयी। लेकिन विष्णु भगवान ने कहा कि मै प्रत्येक वर्ष पाताल लोक में चार माह स्यान एकादशी से उठवानी एकादशी तक (चतुर्मास) पाताल लोक मे रहूँगा। देवताओ की रक्षा के लिए मातृ शक्तियो का प्राकट्य होता रहा और उनके पराजित होने का इतिहास नही रहा। इन्द्र के विजय के लिए इंद्राणी रक्षासूत्र बांधती है और शक्ति प्रदान करती है और दैवीय शक्तियो के बल पर आसुरी शक्तियो पर विजय प्राप्त किया। बहुत सारे देश अतीत में चले गए लेकिन हमारी सभ्यता संस्कृति एवं पर्वों के चलते मिली ऊर्जा से गुलामी का दंश झेलने 1300 वर्ष तक ग्रीक, हुड, शक, यवन, मुगल और अंग्रेजो के आघात का प्रतिकार करने के बाद भी हमारे उत्सवों के परंपरा के कारण ही संस्कार और संस्कृति जीवंत है। संस्कृति सभ्यता और समाज को तोड़ने वाली शक्तियां लगी, लेकिन पर्वों ने देश को जोड़े रखा। हमारी संस्कृति में कोई भी पर्व हो संदेश देता है कि- ‘सब समाज को लिए साथ में आगे है बढ़ते जाना, .. जहां पूर्णता मर्यादा हो सीमाओं की डोर नहीं। ऐसे मे हम सभी को संकल्प लेना होगा कि समाज को तोड़ने वाली शक्तियो का सामना कर प्रखर राष्ट्रीयता की और लौटना होगा और संपूर्ण समाज मे ऐसा भाव लाना होगा, ताकि अपना देश परं वैभव और विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर हो। इस अवसर पर प्रान्त सह संघचालक अंगराज सिंह , विभाग संघचालक तिलकधारी , सहविभाग संघचालक धर्मराज सिंह ज़िला संघचालक शरद उपाध्याय,विभाग कार्यवाह सच्चिदानंद त्रिपाठी जिला कार्यवाह चंद्रमोहन, सुनील दुबे, विभाग प्रचारक परितोष , जिला प्रचारक धीरज , नगर प्रचारक राजेन्द्र प्रसाद , नगर संघचालक कुलदीप, नगर कार्यवाह लखन, सोहन श्रीमाली रोहित त्रिपाठी मनोज जायसवाल श्यामसुन्दर केशरी सहित एक हजार से अधिक स्वयंसेवक बंधु एवं राष्ट्र सेविका समिति की बहनो की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।