घोटालेबाज शाइन सिटी का डायरेक्टर राशिद नसीम लाया जाएगा भारत इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया आदेश

प्रखर एजेंसी। शाइन सिटी घोटाले के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा आदेश दिया है। बता दें कि शाइन सिटी घोटाले की जांच आर्थिक अपराध शाखा वाराणसी की इकाई कर रही है। जानकारी के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाइन सिटी के मालिक व उसके कर्मियों को तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। बता दें कि शाइन सिटी के ओनर राशिद नसीम भारत से बाहर सम्भवतः दुबई में शिफ्ट हो चुका है लेकिन उसके ऊपर सैकड़ों की संख्या में मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। जिसको संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसके पासपोर्ट को तत्काल निरस्त करने और डीजीपी को आदेश दिया है कि विदेश मंत्रालय से बात कर वह जिस देश में है वहां से गिरफ्तार कर लाने की प्रक्रिया की जाए। धोखाधड़ी कर सैकड़ों निवेशकों का करोड़ों रुपये हड़प लेने वाली शाइन सिटी कम्पनी के मुख्य आरोपी डायरेक्टर राशिद नसीम और उसके भाई आसिफ नसीम व अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी का आदेश दिया है। कोर्ट ने आर्थिक अपराध शाखा के निदेशक को 22 अक्तूबर को तलब किया है। उनसे यह भी पूछा है कि विदेश भागने वाले दो मुख्य आरोपियों में से एक का ही पासपोर्ट क्यों निरस्त किया गया। कोर्ट ने कहा कि 1647 निवेशकों के 237 करोड़ हड़पने वालों के खिलाफ 284 एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। एफआईआर दर्ज होते ही पासपोर्ट क्यों नहीं निरस्त किया गया। आरोपियों की गिरफ्तारी का यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमएन भंडारी एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने श्रीराम की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने हैरानी जताई है कि अभियुक्तों के खिलाफ वारंट जारी है। एक अभियुक्त अधिवक्ता के माध्यम से केस में पक्ष भी रख रहा है लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई। हालांकि, कुछ समय पहले राशिद की पत्नी सगुप्ता को लखनऊ पुलिस ने गोमतीनगर से गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने निदेशक आर्थिक अपराध शाखा व प्रदेश के डीजीपी को तलब किया था। कोर्ट ने डीजीपी की अगली सुनवाई पर हाजिरी माफ कर दी लेकिन निदेशक को हाजिर होने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अनुपालन रिपोर्ट पेश की। कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के रवैये पर नाराजगी जताई और कहा कि 2019 में एफआईआर दर्ज हुई है और सैकड़ों निवेशकों का करोड़ों हजम करने वाले अभियुक्तों की गिरफ्तारी नहीं की जा सकी।  कोर्ट ने कहा कि विदेश मंत्रालय यह नहीं पता लगा सका कि मुख्य आरोपी किस देश में हैं ताकि उन्हें वापस लाया जा सके। कोर्ट ने अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। साथ ही कार्रवाई के लिए आदेश की प्रति विदेश मंत्रालय को भेजने का निर्देश दिया है।