डॉन की रिहाई, काफिला बीती देर शाम पहुंचा घर

प्रखर वाराणसी। माफिया मुख्तार अंसारी का जानी दुश्मन डॉन बृजेश सिंह 14 साल बाद जेल से बाहर आ गये। कई सालों तक लापता रहने के बाद बृजेश सिंह की गिरफ्तारी 2008 में भुवनेश्वर से हुई थी। तब से वह विभिन्न जेलों में रहे। इस दौरान एमएलसी भी बने। 2016 से ब्रजेश वाराणसी केंद्रीय कारागार में बंद है। मुख्तार अंसारी पर हमले के मामले में बुधवार को ही हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने बृजेश सिंह को जमानत दी थी। गुरुवार को हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी ब्रजेश सिंह के वकील ने गाजीपुर के अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) रामसुध सिंह की विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट में जमा करा दी। कोर्ट ने एक-एक लाख के दो जमानतदारों के बांड के आधार पर बृजेश सिंह की रिहाई का आदेश जारी कर दिया। कोर्ट का परवाना वाराणसी केंद्रीय कारागार पहुंचते ही गुरुवार शाम 6.59 बजे बृजेश सिंह को रिहा कर दिया गया। बताया जा रहा है कि गाजीपुर की कोर्ट से जमानत मिलने के बाद दोपहर से ही समर्थकों का सेंट्रल जेल के बाहर जमवाड़ा लग गया था। शाम को छूटने के बाद बृजेश सिंह काफिला के साथ सिद्धगिरी बाग स्थित आवास पर पहुंचे।मुहम्मदबाद क्षेत्र में 15 जुलाई, 2001 को दिन में 12.30 बजे उसरी चट्टी के पास मऊ जा रहे बाहुबली मुख्तार अंसारी के काफिले पर स्वचालित हथियारों से हमला किया गया। इसमें बाहुबली के गनर की मौके पर मृत्यु हो गई। एक हमलावर शूटर भी मारा गया। मामले में मुख्तार ने बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह के खिलाफ नामजद और 15 अज्ञात हमलावरों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। दो आरोपियों की मौत विवेचना के दौरान मौत हो गई।