परिवहन विभाग की ऑनलाइन चालान को पलभर में डिलीट करने वाले गैंग का खुलासा, 53 जिलों में फैला था नेटवर्क


पल भर में डिलीट कर देते थे e-challan एसओजी ने किया खुलासा दो गिरफ्तार

अन्य सदस्यों की हो रही तलाश

उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सरकार को लगा चुके थे कई करोड़ का चूना

प्रखर डेस्क /ऐजेंसी। एसओजी ने बुधवार को ई-चालान वेबसाइट हैक कर लाखों के राजस्व का चूना लगाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है साथ ही दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है बाकी कुछ सदस्य फरार है। उनकी तलाश जारी है। बतादे कि इस गोरखधंधे का संचालन मझोला के टीपी नगर क्षेत्र में जनसुविधा केंद्र की आड़ में हो रहा था। गिरोह का पूरा नेटवर्क यूपी-उत्तराखंड के 53 अन्य जिलों में फैला हुआ था। गिरोह में शामिल अयोध्या में आरटीओ कार्यालय में तैनात संविदा क्लर्क व कानपुर कचहरी में संविदा पर तैनात बाबू समेत तीन सदस्य फरार हैं। पुलिस और एसओजी की टीम फरार सदस्यों को तलाश में छापेमारी कर रही है। एसपी सिटी कार्यालय में हुई प्रेस कांफ्रेंस में एसएसपी हेमंत कुटियाल ने इस गिरोह का खुलासा किया। गिरफ्तार किए गए शातिरों के नाम शाने आलम पुत्र रमजानी हुसैन थाना मैनाठेर व जावेद पुत्र रजारूल हसन असदपुर थाना मैनाठेर बताए। इसके अलावा गिरोह में शामिल अयोध्या में आरटीओ कार्यालय में तैनात संविदा क्लर्क अभिकुमार लाल मिश्रा उर्फ आर्य कुमार मिश्रा और कानपुर कचहरी में संविदा पर तैनात बाबू दीपक राज और मैनाठेर का अहमद रजा फरार हैं। एसएसपी ने बताया कि गिरोह के पूरे नेटवर्क को खंगालने के साथ ही फरार सदस्यों की तलाश में छापेमारी की जा रही है। जल्द ही अन्य सदस्यों को गिरफ्तार कर लेंगे। बताया जा रहा है कि जन सुविधा केंद्र की आड़ में चल रहा था गोरखधंधा, आरटीओ कार्यालय में तैनात संविदा क्लर्क भी शामिल था। वही अयोध्या में आरटीओ कार्यालय में तैनात संविदा क्लर्क व कानपुर कचहरी में संविदा पर तैनात बाबू भी गिरोह में शामिल, दोनों की तलाश में दबिशें दी जा रही है। पकड़े गए सदस्यों के कब्जे से लैपटॉप, एलसीडी, सीपीयू, पांच प्रिंटर, मोहर बनाने की मशीन आदि बरामद किया गया है। मौके से पुलिस व सीजेएम की मोहरें भी हुई बरामद
जनसुविधा केंद्र के अंदर ही मोहरें बनाने वाली मशीन भी लगा रखी थी। मौके से एसओजी प्रभारी रवींद्र कुमार को यूपी के पुलिस के बड़े अधिकारियों के अलावा सीजेएम बागपत व अन्य न्यायिक अधिकारियों की मोहरें भी बड़ी संख्या में बरामद हुईं। एसओजी प्रभारी रवींद्र ने बताया कि मोहर का प्रयोग करने के तुरंत बाद गिरोह के सदस्य नष्ट कर देते थे। जिले में प्रचलित सभी पुलिस चालान से संबंधित वेबसाइट का समय-समय पर पर्यवेक्षण किया जाता है। अगस्त माह की मासिक रिपोर्ट को डाउनलोड किया गया। पता चला कि पुलिस की वेबसाइट के समानांतर वेबसाइट के जरिए चालान किए गए शमन शुल्क में परिवर्तन किया जा रहा है। कई बड़े चालानों को डिलीट किया गया है। बताते चले कि साइबर सेल के जरिए वेबसाइट के बारे में जानकारी करने के लिए एनआईसी मुख्यालय लखनऊ से संपर्क किया गया। पता चला कि उपरोक्त वेबसाइट 7351577310 से क्रिएट की गई हैं। आईपी एड्रेस की भी जानकारी हो गई। वही एसओजी प्रभारी रवींद्र कुमार ने बताया कि इसके बाद शाने आलम को दबोच लिया गया। पूछताछ की तो उसने सच्चाई उजागर कर दी। यूपी के अलावा उत्तराखंड समेत 53 जिलों में नेटवर्क फैला होने की बात स्वीकार की। एसओजी टीम द्वारा गिरफ्तार किए गए दोनों कंप्यूटर के जानकार होने के साथ-साथ शातिर दिमाग हैं। वह पल भर में पुलिस द्वारा किए गए ई-चालान को वेबसाइट से डिलीट कर देते थे। अफसरों के नाम से भी उन्होंने कई चालानों को डिलीट कर दिया था। एसपी क्राइम ने ई-चालान का रिकार्ड खंगाला तो उन्होंने सर्विलांस टीम के साथ ही साइबर सेल को सक्रिय किया। करीब पांच दिन की कड़ी मेहनत के बाद गिरोह का पर्दाफाश करने में सफलता मिल सकी। एसपी क्राइम अशोक कुमार ने बताया कि फरार गिरोह के सदस्यों की तलाश में पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं। जल्द ही और गिरफ्तारी की जाएंगी। उन्होंने बताया कि शाने आलम जनसुविधा केंद्र के जरिए वाहनों का ई-चालान जमा करने का काम करता था। उसके भाई ने टीपी नगर में ही बॉस डीजल इंजीनियरिंग नाम से कंपनी खोल रखी है। उसमें वह नोजिल व पंप ठीक करने का काम करता है। इस कारण उसके पास वाहन स्वामी गाड़ी ठीक कराने के लिए आते रहते हैं। एसपी क्राइम ने बताया कि शुरुआत में वह ऑन लाइन वाहनों के ई-चालान जमा करने का काम करता था। इसी दौरान वह चालान जमा करने के लिए कुशीनगर गया था। जमा करने वाले कर्मचारी ने उसके सामने ही आईडी खोली और पासवर्ड डाला। यह पूरी प्रक्रिया को उसने देखा। इसके बाद उसने कंप्यूटर पर आईडी डाली। पासवर्ड डालते ही आईडी खुल गई। इसके बाद वह पुलिस और कोर्ट की आईडी को लागिन करके चलाने लगा। इसी बीच सुरक्षा के लिहाज से पुलिस और कोर्ट द्वारा आईडी खोलने पर ओटीपी आने की प्रक्रिया शुरू की। शातिर दिमाग शाने आलम ने अपना मोबाइल नंबर हैक की गई आईडी के साथ लगा दिया। इससे ओटीपी भी उसके पास आने लगा। इस प्रकार वह बेखौफ अंदाज में कोर्ट व पुलिस की आईडी हैक करके हर माह लाखों रुपए के राजस्व का चूना सरकार को लगाने लगा। यूपी व उत्तराखंड के जिलों में भी अफसर रिकार्ड चेक करने में जुटे है। एसओजी टीम द्वारा ई-चालान वेबसाइट हैक करने का पर्दाफाश करने की जानकारी होते ही यूपी व उत्तराखंड के अन्य जिलों में हड़कंप मच गया। अलग-अलग जिलों में तैनात अधिकारियों ने साइबर व सर्विलांस के जानकार पुलिस कर्मियों को फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि कई जिलों में वेबसाइट हैक कर फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है।