ग़ाज़ीपुर- प्राचीन है गंगुआ महादेव का इतिहास

– मान्यता अनुसार गंगुआ महादेव शिवलिंग की उत्पत्ति स्वयं पृथ्वी से हुई है।

प्रखर ब्यूरो दुल्लहपुर/गाजीपुर। जनपद मुख्यालय से तीस किलोमीटर दूर जखनियां विकास खंड का दुल्लहपुर थाना क्षेत्र आस्था और विश्वास के साथ साथ कई कौतूहलों से भरा पड़ा है। इसी में जमसड़ा ग्राम पंचायत का गंगुआ महादेव स्थल भी एक है। आजमगढ़ वाया गाजीपुर मुख्य मार्ग के दक्षिण तरफ लोगों के ध्यान आकर्षण का केन्द्र बना गंगुआ महादेव का मंदिर लगभग चार सौ साल पुराना होते हुए आज भी श्रद्धालुओं के आस्था और विश्वास का प्रतीक है। साक्ष्यों, किंवदंतियों और दंत कथाओं के आधार पर कहा जाता है कि गंगुआ महादेव शिवलिंग की उत्पत्ति स्वयं पृथ्वी से हुई है। आज से सैकड़ों साल पहले गंगुआ महादेव के आसपास के हजारों मिल का इलाका गहन जंगल मय था। हिंसक वन्य जीवों का आधिपत्य था। उसी जंगल के बीच मे स्वयम्भू भगवान भोलेनाथ स्वयं की इच्छा से प्रकट हुए माने जाते हैं। कुछ समय बाद मनुष्य की आवश्यकता अनुसार जंगल कटता गया और स्थान की महत्ता प्रकट होने लगी। तत्कालीन किसी संत महात्मा की निगाह स्वयंभू भोलेनाथ के शिवलिंग पर पड़ी उन्होंने अपने दिब्य दृष्टि से उन्हें पहचाना। उसके बाद महत्ता प्रकाश में आते ही जन भावनाओं का झुकाव बढ़ते ही उक्त स्थल पर नित प्रतिदिन पूजा प्रारम्भ हो गया। महादेव के शिवलिंग की उत्पत्ति से पहले संबंधित क्षेत्र गंगुआ के नाम से जाना जाता था परन्तु शिवलिंग के प्रकटीकरण के बाद गंगुआ के साथ महादेव शब्द जुड गया और अब गंगुआ महादेव के नाम से प्रचलन में आ गया। आज भी लोगों का मानना है की यहाँ जो कोई भी अपनी मनोकामना लेकर आता है भोलेनाथ की कृपा से पूरी होती है। गंगुआ महादेव मंदिर से श्रद्धा रखने वाले युवा समाज सेवी तथा युवा भाजपा नेता अमित पटेल बताते हैं कि यहाँ हर वर्ष 9 दिन के नवाह्न पाठ के साथ नव दिन “रुद्र महायज्ञ”का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश के प्रशिद्ध अखाड़ों के महंथ सहभागिता निभाते हैं। संतों के पावन चरणों से क्षेत्र पवित्र हो जाता है। मंदिर के महंत श्री श्री 1008 फलहारी महाराज मंगलदास जी ने बताया कि इस वर्ष रुद्र महायज्ञ का आयोजन 5 जुलाई से आरम्भ होकर 13 जुलाई गुरुपूर्णिमा के दिन तक चलेगा।