40 हजार के असली पर 1 लाख के नकली नोट दे रहे थे, एसटीएफ ने गिरोह को पकड़ा


प्रखर डेस्क। नकली करेंसी की तस्करी करने वाले गिरोह के खिलाफ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई की है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नकली करेंसी की तस्करी करने वाले गिरोह के दो तस्करों को एसटीएफ के प्रयागराज इकाई ने गिरफ्तार किया है. पकड़े गए आरोपी जाली करेंसी सप्लाई करने वाले पश्चिम बंगाल के गिरोह से जुड़े हैं. एसटीएफ की गिरफ्त में आए आरोपियों में से एक प्रतापगढ़ का और दूसरा मऊ आइमा का रहने वाला है. एसटीएफ ने इनके पास से 3 लाख 40 हजार की जाली करेंसी बरामद की है. आरोपियों के पास से बरामद सभी नोट दो-दो हजार के हैं. बताया गया कि जाली करेंसी बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल लाई गई थी. बंगाल से ही उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में जाली करेंसी सप्लाई के सुराग एसटीएफ को मिले थे. सुराग मिलने पर एसटीएफ की प्रयागराज यूनिट जांच में जुटी थी. जहां आज एसटीएफ ने नकली नोट के इन तस्करों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की.एसटीएफ के सीओ नवेन्दु कुमार ने बताया की पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के गिरोह के सदस्यों को सर्विलांस के जरिए ट्रैक किया जा रहा था. जब गिरोह के दो सदस्य नकली नोटों की खेप लेकर प्रयागराज पहुंचे तो नैनी में जीसी कंपनी के पास उन्हें दबोच लिया गया. पकड़े गए तस्करों में मदन लाल निवासी महेशपुर प्रतापगढ और बबलू चौरसिया निवासी थम्मन का पुरवा, प्रयागराज के हैं. पूछताछ में दोनों शातिरों ने कबूल किया कि वह एक साल से जाली करेंसी सप्लाई कर रहे हैं.आरोपियों ने बताया कि 40 हजार रुपये के असली नोट देने पर एक लाख की जाली करेंसी उन्हें मिलती है. बताया गया कि पश्चिम बंगाल का रहने वाला दीपक मंडल, उसका रिश्तेदार सुभाष और बहनोई विश्वजीत सरकार बांग्लादेश से नकली नोट लाकर कई राज्यों में सप्लाई करते हैं. एक बार जेल जा चुके हैं आरोपी। बता दें कि नकली नोट के इन तस्करों के खिलाफ एसटीएफ लगातार कार्रवाई करती रहती है. इससे पहले एसटीएफ ने वर्ष 2015 में अच्छेलाल चौरसिया को करीब साढ़े सात लाख के नकली नोटों के साथ और साल 2019 में करीब ढाई लाख रुपये के नकली नोटों के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा था. जेल से छूटने के बाद यह गिरोह फिर से नोटों की सप्लाई करने लगता है. अबकी बार ये उत्तर प्रदेश की बजाय दूसरे राज्यों में जाली करेंसी पहुंचा रहे थे।