अपने ही आदेश की अवहेलना कर बार-बार बुजुर्ग को नोटिस भेज परेशान कर रहे वाराणसी एआरटीओ प्रशासन

आवेदक ने गाड़ी को 2014 में ही कार्यालय से करा लिया था निरस्त

प्रखर वाराणसी। सामान्यत: सरकारी मुलाजिम के किसी आदेश का कोई नागरिक अवहेलना करता है, तो उस पर कानूनी रूप से कार्यवाही होती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसा मामला बताने जा रहे हैं, जिसमें वाराणसी के एआरटीओ द्वारा 2014 में दिए गए आदेश की अवहेलना वर्तमान में एआरटीओ (प्रशासन) लगातार कर रहा है। इसे सुनकर आपको हंसी आएगी कि तत्कालीन एआरटीओ के आदेश की अवहेलना वर्तमान आरटीओ आखिर क्यों कर रहा है? मामला बड़ा ही दिलचस्प है। बता दें कि वाराणसी जनपद के भेलूपुर निवासी 65 वर्षीय विरेंद्र प्रताप सिंह पुत्र स्वर्गीय रमाशंकर सिंह ने 25 जून 2014 को प्रार्थना पत्र देकर अपने वाहन यूपी 63 एफ 9612 को जर्जर बताकर उसका टैक्स भरते हुए एआरटीओ प्रशासन से यह निवेदन किया कि यह गाड़ी अब चलने योग्य नहीं है, इसे कार्यालय से निष्क्रिय कर दिया जाए। इसके बाद एआरटीओ (प्रशासन) ने आदेश कर समस्त संबधित अधिकारियों सहित उन्हें भी पत्र द्वारा सूचित किया कि आपकी गाड़ी कार्यालय से निरस्त कर दी गई है, अब आप इसे स्क्रैप में कटवा सकते हैं। इसके बाद 2021- 2022 में लगातार उन्हें नोटिस दर नोटिस दी गई कि आप अपने उक्त वाहन का करीब ₹385890 टैक्स जमा कर दें, जो टैक्स 1 जुलाई 2014 से 31 दिसंबर 2022 का बताया गया। अब बड़ा सवाल यह है कि जब आवेदक ने 2014 में ही अपनी गाड़ी को एआरटीओ से निरस्त करा लिया था तो आखिरकार एआरटीओ कार्यालय द्वारा अपने सिस्टम से उसे डिलीट क्यों नहीं किया गया? इसको लेकर आवेदक वीरेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि मैं वरिष्ठ नागरिक हूं मुझे आए दिन नोटिस भेजकर प्रताड़ित किया जाता है। वाराणसी एआरटीओ (प्रशासन) द्वारा मुझे करीब 4 नोटिस प्राप्त हुई है, जबकि नोटिस मिलने के बाद मैंने विभागीय अधिकारियों को आवेदन देकर अवगत करा दिया था कि मैंने अपनी गाड़ी को एआरटीओ कार्यालय से निरस्त करा लिया है, लेकिन उसके बाद भी लगातार नोटिस दर नोटिस मुझे भेजी जा रही है। अब अगर मेरे साथ इसी तरह का रवैया अपनाया जाता है तो मैं कानूनी कार्यवाही करने के लिए बाध्य रहूंगा।