ग़ाज़ीपुर- किसान तरबूज, खरबूज व नाशपाती उगाकर कर सकते है अच्छी कमाई

प्रखर ब्यूरो गाजीपुर। खरबूजे की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है, किन्तु अधिक मात्रा में उत्पादन प्राप्त करने के लिए हल्की रेतीली बलुई मिट्टी को उत्तम माना जाता है। कुछ ऐसी ही स्थिति गाजीपुर जनपद की है क्योंकि गाजीपुर जनपद वाराणसी से लेकर बिहार के बक्सर तक गंगा के किनारे बसा हुआ है। इसके कारण गंगा के किनारे इस फसल के लिए उपजाऊ रेतीली बलुई मिट्टी प्रचुर मात्रा में मिलती है। जिसकी वजह से किसान इस मिट्टी में खरबूज, तरबूज, ककड़ी, खीरा जैसी फसल आसानी से उगाया रहे है।
गर्मी के मौसम यानी कि मार्च से लेकर जून और जुलाई का मौसम को खरबूजे की फसल के लिए अच्छा माना जाता है। इस दौरान पौधों को भरपूर मात्रा में गर्म और आद्र मौसम मिल जाती है। गर्म मौसम में इसके पौधे अच्छे से बढ़ते है। बारिश के मौसम में इसके पौधे ठीक से वृद्धि करते है, लेकिन अधिक बारिश पौधों के लिए हानिकारक होती है। इस खेती की शुरुवात में 25 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है तथा पौधों के विकास के लिए 35 से 40 डिग्री तापमान जरूरी होता है। जैसा कि इन दिनों तापमान चल रहा है। इन दिनों जनपद में गंगा किनारे के इलाके जैसे करंडा, मोहम्मदाबाद, भावर कोल आदि इलाकों में रेतीले खेतों में किसान तरबूज, खरबूज नाशपाती उगाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं। माधुरी नस्ल का तरबूज किसानों में ज्यादा लोकप्रिय है। क्योंकि यह कम समय में तैयार होने के कारण किसानों की पसंद बन चुकी है। वहीं कृषि विशेषज्ञों की मानें तो किसान मल्च विधि से तरबूज की बुवाई कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों की बात माने तो तरबूज को अगर किसान परंपरागत खेती की बजाए मल्च लगाकर करें तो उसका खर्च 40 से 45 हजार प्रति एकड़ आएगा और 1 एकड़ की फसल बेचने पर करीब डेढ़ लाख किसान प्राप्त कर सकता है। खेती के लिए किसान को 8 से 10 सिंचाई करनी पड़ती है। जबकि यदि वह मल्च विधि से खेती करें तो 4-5 सिचाई चाहिए काफी होती है। वही मल्च विधि से मोहमदाबाद इलाके में कई किसानों ने टमाटर की खेती की हुई है। मोहम्मदाबाद इलाके में तरबूज की खेती करने वाले किसानों को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की सौगात मिल जाने की वजह से उन्हें सिर्फ गाजीपुर की मंडियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ रहा है। बल्कि अपनी फसल को प्रदेश के कई अन्य मंडियों तक भी कम खर्च में पहुंचा कर अधिक लाभ कमा रहे हैं।