ग़ाज़ीपुर- कारगिल शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि

प्रखर ब्यूरो ज़मानियां/ग़ाज़ीपुर। जनपद ग़ाज़ीपुर के कस्बा ज़मानियां में ऐतिहासिक मुहल्ला कोट पर पत्रकार शाहजाद खान के आवास पर शहीद हसन फाउंडेशन के तत्वावधान में 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस के रूप में मास्क, सेनेटाइजर संस्था द्वारा बाँटने के साथ ही सोशल डिस्टेन्शिंग के साथ कारगिल में शहीद हुए जवानों के लिए कैंडल जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। 
प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को कारगिल युद्ध का विजय दिवस  भारतीय सेना के पराक्रम और शौर्य गाथा का प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। जिसे हम सभी याद करते हैं। कारगिल की ऊंची-ऊंची चोटियां गवाह है कि हमारे बहादुर सैनिको ने अपने खून द्वारा सींची गयी घाटी में तिरंगे की आन-बान और शान के शौर्य को बढ़ाया था। साथ ही अंतरराष्ट्रीय पटल पर सैनिको के खून से विजय का नया इतिहास लिखा, जिससे हमारी आगे आने वाली पीढ़ियां उस त्याग और बलिदान से प्रेरणा लेकर मातृभूमि की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहें। एक सैनिक जब वर्दी धारण करता है तो उसे सिर्फ देश व माटी दिखती है। कारगिल योद्धाओं की असीम प्रतिबद्धता, अदम्य साहस, बहादुरी और दृढ़ता जैसी देशभक्ति की शक्ति हम सभी युवाओं के जेहन में बना रहना चाहिए। कारगिल विजय दिवस पर हम सभी को देश की एकता और अखंडता को बनाये रखने की शपथ लेनी चाहिए। एक फौजी अपनी मातृभूमि के मान और देश की शान के समर्पण में जिंदगी को यू ही हँसते हुए बलिदान कर देता है। माटी उसकी शहादत से उर्वर रहती है और तिरंगे में उसकी कुर्बानी का मान सदा के लिए सजा रहता है। आज़ादी के बाद सवा सौ से अधिक शहीदों की धरती हैं ग़ाज़ीपुर। इस मौके पर उपस्थित अल् दीनदार शम्सी म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी के शोधकर्ता कुँअर मुहम्मद नसीम रज़ा ने बताया कि ग़ाज़ीपुर जिला हमेशा से शहीदों की धरती कहलाती है। चाहे परगना की सीमा क्षेत्र हो या देश की सीमा पर बलिदान तथा कुर्बानी देने में यहाँ का शहीद जवान आगे रहा है। चाहे दौर-ए-मुग़लिया हो या सूरी वंश का काल, चाहे अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन के समय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की शहादत। भारत-चीन युद्ध 1962, भारत -पाक युद्ध 1965, भारत -पाक युद्ध 1971 भारत-पाक युद्ध 1999 का कारगिल विजय दिवस ग़ाज़ीपुर के माटी के लाल हमेशा सीमा रक्षा में जान की कुर्बानियां दी हैं। 1962 से 2020 तक लगभग सवा सौ (125) ग़ाज़ीपुर के जवानों की लम्बी फेरहिस्त है, जिनके नाम गाँव -गाँव इतिहास के पन्नों पर सुनहले अक्षरों में अंकित हैं।
इस दौरान कारगिल विजय दिवस श्रद्धांजलि सभा में कोरोना महामारी को लेकर शहीद हसन फाउंडेशन की जानिब से संस्थापक शहज़ाद ख़ान एवं एएमआईएम पार्टी जमानियां विधानसभा अध्यक्ष मौलाना रियाज़ुद्दीन ख़ान के हाथों से क्षेत्रीय समाज सेवियों, पत्रकारों को कोरोना योद्धाओ को सम्मान-पत्र से सम्मानित किया गया। सम्मान पाने वालों में अल् दीनदार शम्सी म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी के निदेशक, समाजसेवी कुँअर मुहम्मद नसीम रज़ा ख़ाँ, डाक्टर शुभान, पत्रकार वसीम अकरम आदि मौजूद थे।